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बिहार: संगीत के क्षेत्र में बेतिया घराने का बड़ा योगदान रहा है. इस राजघराने ने भारतीय संगीत को न सिर्फ संरक्षित करने का काम किया है बल्कि बुलंदियों पर भी पहुंचाया है. यही वजह है कि पिछले 400 वर्षों से बेतिया घराने ने भारतीय संगीत को संजोये रखने का काम किया है.
इस राज घराने ने पारंपरिक भारतीय संगीत ध्रुपद शैली को जीवंत रखने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा किया है. हालांकि इस राज घराने के कुंज बिहारी मलिक को आखरी संगीतज्ञ के रूप में जाना जाता है. इसे के बाद भी इस घराने का संगीत अब भी जीवंत है और ध्रुपद शैली को आगे बढ़ाने का काम कर करे हैं.
बेतिया घराने के युवा ध्रुपद शैली को बढ़ा रहे हैं आगे
बता दें कि बेतिया घराने के लोग छपरा में भी रहते हैं और इनका पूरा परिवार संगीत से हीं जुड़ा हुआ है. स्त्री हो या पुरूष सभी संगीत के क्षेत्र में जाना पहचाना नाम हैं. छपरा शहर के दहिया स्थित आध्या देवी संगीत संस्थान के संस्थापक अध्या देवी ने अपनी कई पीढियां को इस परंपरा से जोड़े रखा तथा समाज के लिए संगीत के माध्यम से सेवा देते रहे.
इसी घराने के युवा आशीष मिश्रा भी हैं जो भारत के पारंपरिक संगीत को आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं. आशीष के पिता पंडित राजेश मिश्रा भी संगीत के क्षेत्र में नामचीन हस्ती हैं. आकाशवाणी से लेकर दूरदर्शन पर इनके कार्यक्रम का प्रसारण होते रहता है. साथ ही एक कलाकर के तौर पर भी खुद को स्थापित किया है.
400 वर्ष पुराना है बेतिया घराने का संगीत
पंडित राजेश मिश्रा ने बताया कि उनके पूर्वज बेतिया घराने से जुड़े थे. पूर्वजों ने जो कुछ उन लोगों ने सीखा था, वह हम लोगों को भी दिया है. इसी को लेकर आगे बढ़ रहे हैं. उन्होंने बताया कि दर्जनों बच्चे यहां संगीत सीखकर इसी को माध्यम बनाकर नौकरी ले चुके हैं. उन्होंने बताया कि दर्जनों बच्चे यहां शिक्षा लेते हैं. बेतिया घराने का 400 वर्ष पुराना इतिहास है. उन्होंने बताया कि यह उनका तीसरा पुश्त है और उनके पुत्र और पुत्रियां इसको आगे बढ़ाने का काम कर रहे हैं.
वहीं आशीष कुमार ने बताया कि उनके नाना, दादा और उसके बाद पिता का दिया हुआ कला है जिसको आत्मसात करने की लगातार कोशिश कर रहे हैं. इसी संगीत के माध्यम से लोगों का मनोरंजन करा रहा हूं. वहीं पूरी कोशिश रहेगी कि पूर्वज जो बीज बोकर गए हैं उसे आगे बढ़ा सकें ताकि आने वाली पीढ़ियों को भी इससे शिक्षा मिले.
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Manish Sahu
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