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आबादी पर लगाम का मिल गया 'फॉर्म्युला'!

Admin4
28 July 2022 10:02 AM GMT
आबादी पर लगाम का मिल गया फॉर्म्युला!
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पटना/दिल्ली : जनसंख्या नियंत्रण के मामले में भारत का प्रदर्शन पहले से काफी बेहतर हुआ है। 31 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने 2.1 या उससे कम की कुल प्रजनन दर हासिल की है। आधुनिक गर्भ निरोधकों का उपयोग काफी हद तक बढ़कर 56.5 प्रतिशत हो गया है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-5 में इसे खास तौर पर बताया गया है। केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्‍याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने दिल्ली में परिवार नियोजन 2030 विजन डॉक्यूमेंट जारी किया। जिसमें बाल विवाह और नौजवानों में जल्द बच्चे पैदा करने की प्रवृति पर चिंता जताई गई।

जल्द शादी और जल्द बच्चा चिंता का विषय

भारत में किशोर जल्दी बच्चे पैदा कर रहे हैं और कम उम्र में लड़कियों की शादी हो रही है। परिवार नियोजन विजन डॉक्यूमेंट 2030 में इस पर चिंता जताया गया है। साथ ही इसे रोकने की रणनीति पर काम करने की बात कही गई है। हालांकि गर्भ निरोधक के इस्तेमाल में सुधार देखा गया है। रिपोर्ट में कहा गया है कि NFHS (National Family Health Survey)-4 से NFHS-5 में गर्भ निरोधकों के उपयोग और अधूरी जरूरत में प्रभावशाली सुधार देखा गया। किशोर प्रसव में भी गिरावट आई है, जो मामूली है। 2015-16 में 7.9% से 2019-21 में 6.8% है। जबकि विवाहित किशोरों और युवतियों में आधुनिक गर्भ निरोधकों का उपयोग बढ़ा है। लेकिन ये काफी कम है। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार की ओर परिवार नियोजन विजन दस्तावेज 2030 जारी किया गया। इसमें बताया गया है कि विवाहित किशोर लड़कियों और युवा महिलाओं को और अधिक गर्भनिरोधक की जरूरत है।

बिहार में ज्यादा काम करने की जरूरत

देश के कई जिलों में 20% से अधिक लड़कियों की शादी वयस्क (18 साल) होने से पहले कर दी जाती है। इनमें बिहार (17), पश्चिम बंगाल (8), झारखंड (7), असम (4) और यूपी, राजस्थान और महाराष्ट्र के दो-दो जिले स्थित हैं। उन्हीं जिलों में आधुनिक गर्भ निरोधकों का कम उपयोग देखा गया। जबकि 118 से अधिक जिलों ने 10 प्रतिशत से अधिक किशोर गर्भधारण की सूचना दी। इन जिलों में बिहार (19), पश्चिम बंगाल (15), असम (13), महाराष्ट्र (13), झारखंड (10), आंध्र प्रदेश (7) और त्रिपुरा के 4 हैं।

किशोर प्रसव को दूर करने की रणनीति पर काम करने की बात

जागरूकता कार्यक्रमों में पुरुष भागीदारी की कमी है, इसे बढ़ाना जरूरी

गर्भ निरोधकों तक पहुंच की कमी, इसे बढ़ाने पर काम करने की बात

जल्दी बच्चा पैदा करने और बाल विवाह रोकने के लिए रणनीति

विवाहित किशोर लड़कियों और युवतियों को गर्भनिरोधक की ज्यादा जरूरत

पुरुषों में परिवार नियोजन के प्रति इंट्रेस्ट नहीं

दस्तावेज में कहा गया है कि आधुनिक गर्भनिरोधक प्रसार दर बिहार में 35% और यूपी में प्रवासी पतियों वाली महिलाओं में 24% थी। जबकि बिहार में यह 47% और यूपी में 36% वैसी महिलाओं के बीच है जो अपने पति के साथ रहती हैं। पुरुष गर्भनिरोधक काफी हद तक कंडोम तक ही सीमित है। पुरुष नसबंदी 0.3% है। युवाओं के लिए गर्भ निरोधकों तक पहुंच में सुधार की चुनौती अब भी बनी हुई है। एनएफएचएस-5 से पता चलता है कि आधुनिक गर्भ निरोधकों के लिए निजी क्षेत्र महत्वपूर्ण स्रोतों में से एक है। गोलियों के 45% और कंडोम के 40% हिस्से में निजी क्षेत्र का योगदान है। दूसरे तरीकों में जैसे इंजेक्शन की हिस्सेदारी 30% और आईयूसीडी (Intra-Uterine Contraceptive Device) की भागीदारी 24% है। हालांकि, नसबंदी सेवाएं भारत में बड़े पैमाने पर सरकार की ओर से दी जाती है।

2045 तक जनसंख्या स्थिर करने का लक्ष्य

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्य मंत्री भारती प्रवीण पवार ने कहा कि 31 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में कुल प्रजनन दर 2.1 या उससे कम है। 2012 और 2020 के बीच भारत ने आधुनिक गर्भ निरोधकों के 1.5 करोड़ से अधिक नए उपयोगकर्ता जोड़े। स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण कहा कि हालांकि भारत ने प्रतिस्थापन स्तर (Substitute Level) की प्रजनन क्षमता हासिल कर ली है, फिर भी प्रजनन आयु वर्ग में एक महत्वपूर्ण आबादी है, जिसे कंट्रोल की आवश्यकता है। सरकार ने हाल ही में संसद में कहा था कि वो 2045 तक जनसंख्या को स्थिर करना चाहती है।

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