बिहार

इमामगंज के किसानों ने खेती की पुरानी परंपरा अपनायी

Admin Delhi 1
24 April 2023 2:31 PM GMT
इमामगंज के किसानों ने खेती की पुरानी परंपरा अपनायी
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गया न्यूज़: डीजल और मंहगे खाद-बीज के कारण अब इमामगंज के किसान खेती की पुरानी परंपरा को अपना रहे हैं. टैक्टर और अन्य उपकरणों की जगह फिर से खेतों में हल और बैल उतारने को किसान मजबूर हो रहे हैं.

आर्थिक रूप से सक्षम किसानों को छोड़ दें तो क्षेत्र के छोटे किसान आधुनिक तकनीक को लगभग छोड़ चुके हैं. छोटे किसान बताते हैं कि पांच वर्षो से लगातार डीजल तेल के कीमतों में वृद्धि होने से ट्रैक्टर मालिक खेत की जोताई दोगुना महंगा कर दिए हैं. वहीं अच्छे किस्म का बीच पहले के अनुपात में तिगुना कीमत पर मिल रहा हैं. खाद का कीमत आसमान छू रहा है. ढ़ाई सौ रुपए बोरा मिलने वाला यूरिया खाद अब चार सौ रुपए बोरा मिलता हैं.

किसानों ने बताया कि कृषि विभाग से मिलने वाला बीज हमलोगों को नसीब में नहीं है. उसे लेने के लिए पहले पैसा जमा करना पड़ता हैं, जिससे हमलोग पैसा नहीं रहने के कर बीज नहीं ले पाते हैं. उसका भी लाभ बड़े किसान ही ले पाते हैं. जिससे छोट किसानों को आधुनिक तकनीक और मशीनी यंत्रों से खेती करना मुश्किल हो रहा हैं. वे बताते हैं कि हमलोगों का खेत छोटे-छोटे प्लॉट में होता हैं. एक बीघा खेत की जोताई ट्रैक्टर से कराने में 16 सौ रुपए लगता है और घर में हर बैल रहने के बाद एक बीघा जोताई करने में तीन दिन का समय लगता है, जिसका मजदूरी मात्र छह सौ रुपया लग रहा. उसमें अगर हमलोग अपने से शाम सुबह जोताई कर लेते हैं तो पूरा का पूरा बचत हो जा रहा हैं.

किसान बताते हैं कि एक बीघा में ट्रैक्टर से जोताई कर खाद और बीज बाजार से खरीदकर खेती करने में करीब आठ हजार रुपया लागत पूंजी लगता है और पैदावार भगवान के भरोसे होता हैं.

अच्छा मौसम रहा तो एक बीघा में सात से आठ किवंटल गेंहू पैदा होता है. उसे अपने से काट पीटकर जमाकर करने पर लागत पूंजी निकाल कर खाने भर अनाज और परिवार का खर्च निकल जाता हैं. अगर मौसम खबर रहा तो पूंजी भी डूब जाता हैं. इस लिए मंगाई के चलते हमलोग छोटे किसान फिर से हर बैल से जोताई कर खेती करना शुरू कर दिए हैं.जिससे ज्यादा बचत हो रहा हैं.

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