बेगूसराय न्यूज़: सिर्फ व्यावसायिक रूप से उपयोग कर भयादोहन किए जाने के चलते ही ज्योतिष विज्ञान की गरिमा मौजूदा दौर में धूमिल हो रही है. संपूर्ण विश्व-ब्रह्मांड के कल्याण के लिए इसकी गौरवशाली गरिमा को पुनर्स्थापित करना निहायत जरूरी है. इसके लिए कारगर पहल की जानी चाहिए. ये बातें ज्योतिष विज्ञान के क्षेत्र में शोधरत कृष्णा नारायण ने प्रेस वार्ता में कहीं.
उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कई बार यह कहा है कि भारतीय सनातनी ज्ञान परंपरा की पुनर्वापसी हो, पुनर्स्थापन हो. इसके गूढ़ रहस्य को समझना होगा. ज्योतिषशास्त्रत्त् भारतीय सनातनी ज्ञान परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है. उन्होंने कहा कि ज्योतिषशास्त्रत्त् में सबसे पहले कर्मफल का सिद्धांत बताते हुए,कर्मेन्द्रिय, ज्ञानेन्द्रिय और मन के बारे में जानकारी दी जाती है. पंचभूतों की जानकारी दी जाती है. आकाश, वायु, अग्नि, जल और पृथ्वी इन पांच तत्वों से किस प्रकार हमारे शरीर का निर्माण होता है यह बताना होता है.
शुरुआती सोपान है यह, इससे नींव तैयार की जाती है. चित्त शुद्धि किस प्रकार की जाए, यह बताया जाता है. हमारे जन्म-जन्मान्तर के कर्मों का लेखा-जोखा इस चित्त में ही संग्रहित होता है. यह हमारे स्वभाव के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. इसलिए बिना चित्त शुद्धि के हम ज्ञान प्राप्त नहीं कर सकते. सही तर्क और जायज विश्लेषण करने की क्षमता विकसित हो जाने से किसी प्रकार के भ्रम की स्थिति नहीं बनती है.
उन्होंने कहा कि ज्योतिष का मतलब सिर्फ राशिफल कथन नहीं, शनि की साढ़े साती नहीं, राहु का काल सर्प दोष नहीं. यह अनंत आकाश समेटे हुए है. जड़ व चेतन का एकात्म कैसे हो, हर व्यक्ति सुखी व समृद्ध कैसे हो, इन सभी को बताने वाली है यह विधा. ज्योतिषशास्त्रत्त् एक ऐसी विधा है जिसके द्वारा न सिर्फ एक स्वस्थ मनुष्य का निर्माण होता है, भौतिक समृद्धि और बेहतर सुसंस्कृत जीवन भी प्राप्त होता है. शुभ मुहूर्त, काल निर्धारण सम्बन्धी नियम हमारे लिए शुभ फलदायी हों, यह इसका उद्देश्य है. जीवन और जगत से जुड़े समस्त प्रश्नों का उत्तर है ज्योतिष.