बिहार

मजबूरी फेंके हुए कचरे से होता है रोटी का जुगाड़

Admin4
19 Oct 2022 1:00 PM GMT
मजबूरी फेंके हुए कचरे से होता है रोटी का जुगाड़
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बिहार स्वास्थ्य विभाग व प्रशासनिक अनदेखी के कारण जहां एक ओर शहर से ग्रामीण इलाके तक निजी क्लीनिक सड़क किनारे व आस-पास बायोमेडिकल कचरा फेंक देते हैं. वहीं उस कचरे से रोटी की तलाश में महिलाएं व बच्चे प्लास्टिक चुनते नजर आते हैं. इन मेडिकल कचरे से प्लास्टिक व अन्य सामग्री चुनकर उसे कबाड़खाने में बेचते हैं. उससे मिले हुए पैसे से रोजी-रोटी की व्यवस्था हो जाती है. ऐसा प्रतिदिन शहर के अलग-अलग हिस्सों में देखने को मिलता है.
बताते चलें कि शहर के जक्की बिगहा, कैनाल रोड, पाली रोड, तार बंगला समेत अन्य स्थानों पर निजी क्लीनिक संचालित होते हैं. कई ऐसे निजी क्लीनिक हैं, जिनके पास मेडिकल कचरा निष्पादन की कोई व्यवस्था नहीं है. वे मेडिकल कचरे को यत्र-तत्र फेंक देते हैं. सुबह होते हीं हाथों में बोरी लिए बच्चे व महिलाओं की झुंड अलग-अलग क्षेत्रों में मेडिकल व अन्य कचरे से रोटी की तलाश में जुट जाती हैं. फेंके हुए कचरा से प्लास्टिक, शीशा व अन्य सामग्री को अलग-अलग कर बोरी में डालते हैं. कचरा चुन रही महिलाओं व बच्चों का कहना था कि पापी पेट का सवाल है. ऐसे में चोरी करने से बेहतर है कि कचरा चुनकर उससे जीवन यापन किया जाए. प्रतिदिन कचरा चुनने वाले को 100-200 रुपए मिल जाते हैं. हालांकि कभी-कभी कचरे से कुछ ज्यादा सामग्री मिलने पर अधिक पैसे भी मिलते हैं. कचरा चुनने वाली कई ऐसी महिलाएं हैं, जिनके बच्चे भी उनका साथ देते हैं.
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