बिहार

कंपनी ने अब तक नहीं भेजा शव,परिजन कर रहे शव की मांग।

Shantanu Roy
24 Oct 2021 12:48 PM GMT
कंपनी ने अब तक नहीं भेजा शव,परिजन कर रहे शव की मांग।
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7 अप्रैल को मजदूरी करने के लिए इराक गये मजदूर की 14 अक्टूबर को मौत हो गयी। मृतक सदर थाना क्षेत्र के लौकहा कजहा कंचनपुर के रहने वाला था। घटना की जानकारी मिलने के बाद मृतक के परिजनों के बीच कोहराम मचा हुआ है।

जनता से रिश्ता। 7 अप्रैल को मजदूरी करने के लिए इराक गये मजदूर की 14 अक्टूबर को मौत हो गयी। मृतक सदर थाना क्षेत्र के लौकहा कजहा कंचनपुर के रहने वाला था। घटना की जानकारी मिलने के बाद मृतक के परिजनों के बीच कोहराम मचा हुआ है। मृतक के परिजन कंपनी से लगातार डेड बॉडी की मांग कर रहे हैं लेकिन कंपनी ने अब तक सुध नहीं ली। जबकि घटना के दस दिन हो चुके है।

अब तक मृतक का दाह-संस्कार तक नहीं किया गया है। मृतक की पत्नी बबीता देवी ने जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगायी है लेकिन आश्वासन के सिवाय अब तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है। बबीता देवी शव की मांग कर रही हैं। इसे लेकर सुपौल डीएम से भी मिली थी और मदद मांगी थी। इराक में पति की मौत के बाद बबीता देवी काफी सदमें में है। रो-रोकर उसका बुरा हाल है। पति की लाश को इराक से लाए जाने के मांग वह सरकार से कर रही है। घर का पूरा परिवार इस घटना से गहरे सदमें में है। वही परिजन शव के आने का इंतजार कर रहे हैं
सुपौल से इराक गये एक मजदूर की तबीयत बिगड़ने के कारण मौत हो गयी। मृतक आनंद मेहता 7 अप्रैल 2021 को मजदूरी के लिए इराक गया था। इराक में काम करने के दौरान उसकी तबीयत खराब हो गयी। बुखार, पेट दर्द और लूज मोशन से वह परेशान था। इस बात की जानकारी उसने कंपनी के साथ-साथ गांव में रह रही पत्नी को भी दी थी। उसकी तबीयत दिन पर दिन बिगड़ रही थी तब आनंद मेहता ने कंपनी से घर भेजने की गुजारिश की थी लेकिन कंपनी घर भेजने के एवज में एक लाख बीस हजार रुपये जमा करने की बात कही।
दरअसल कजहा कंचनपुर निवासी आनंद मेहता इराक के हुंडई इंजीनियरिंग एंड कैंस्ट्रक्शन कंपनी इराक के द्वारा मेटेरियल फेब्रीकेटर के पद पर चयन के बाद अप्रैल माह में इराक चले गए थे। सब कुछ ठीक ठाक चल रहा था। परिजन से मोबाइल पर बातचीत भी हो रही थी। इस बीच 14 अक्टूबर को इराक से फोन आया की आनंद मेहता की मौत हो गई है। जिसके बाद परिजनों में कोहराम मच गया।
लेकिन घटना के 10 दिन बीत गये हैं लेकिन अब तक डेडबॉडी को इराक के नहीं भेजा गया और न ही उनके परिजनों को कोई मुआवजा ही दिया गया। ग्रामीणों ने बताया की मृतक के घर उनकी पत्नी के अलावा दो छोटे बच्चे हैं। आनंद की मौत के बाद परिवार की स्थिति काफी खराब हो गई है। कोई आय का स्रोत भी नहीं हैं। अब मासूम बच्चों की परवरिश कैसे होगी इसे लेकर परिवार और गांव वाले चिंतित है। स्थानीय लोगों ने सरकार से इस दिशा में पहल करने की मांग की है।


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