रोहतास न्यूज़: नगर निगम में सफाई व्यवस्था बेपटरी हो गई है. जिस कारण शहरवासी परेशान हैं. निगम क्षेत्र के सभी वार्डों का कमोबेश यही हाल है. कुछ वार्डों में तो एक महिने में एक बार भी सफाई कर्मी नहीं पहुंचे हैं. सबसे बूरा हाल नगवगठित वार्डों की है.
सफाई को लेकर वार्ड पार्षदों की भी नही सुनी जाती है. जिस कारण पार्षद भी सफाई के मुद्दे को लेकर अपने आप को असहज महसूस करने लगे हैं. हालांकि जनता के कोपभाजन का शिकार उन्हें होना पड़ रहा है. वार्ड वासी सफाई के मुद्दे को लेकर वार्ड पार्षदों के घर तक पहुंच जा रहे हैं. वहीं कई वार्ड पार्षदों ने वार्डवासियों के सवाल के डर से अपना मोबाइल तक स्वीच ऑफ कर लिया है. वहीं दूसरी तरफ नए एजेंसी का चयन नहीं होने के कारण पुराने एजेंसी का अवधि विस्तार पाचंवी बार किया गया है.
15 ट्रिपर है खराब नगर निगम क्षेत्र में डोर टू डोर कचरा उठाने के लिए 30 ट्रिपर है. बताया जाता है कि 30 में से 15 ट्रिपर पिछले दो माह से खराब है. एक ट्रिपर की मदद से 10 हजार की आबादी से निकलने वाले कचरे को उठाना है. वर्तमान में शहर की आबादी 2.64 लाख है. ऐसे में 15 ट्रिपर की मदद से 1.50 लाख की आबादी से निकलने वाले कचरे का ही उठाव हो रहा है. जबकि 1.14 लाख की आबादी से निकलने वाला कचरा सड़कों या गलियों में ही फेंका जा रहा है.
मोहल्ले की गली बना नरक नगर निगम में सफाई का हाल यह है कि मुख्य मार्गों के किनारे भी कचरे का अंबार लगा हुआ है. सबसे बूरा हाला वार्ड के गलियों का है. कचरा का उठाव नहीं होने के कारण कचरा से निकलने वाली दुर्गंध से लोगों का जीना मुहाल हो गया है. वहीं बरसात के कारण स्थिति और भी भयावह हो गई है. गलियों का कचरा नालियों में चला जाता है. वहीं कचरे के कारण बीामरियां होने की भी आशंका जताई जा रही है.
86 लाख खर्च होने के बाद भी स्थिति हुई बदतर नगर निगम क्षेत्र में सफाई को लेकर 86 लाख रूपए प्रति माह खर्च होते हैं. सफाई को लेकर नगर निगम के पास 30 ट्रिपर, 40 ठेला, 40 हैंड ट्रॉली, दो जेसीबी मशीन, एक मिनी पॉक्लेन मशीन है. सफाई एजेंसी की माने तो प्रतिदिन 300 से अधिक सफाईकर्मियों को सफाई कार्य के लिए लगाया जाता है. शहर की सफाई की स्थिति जस के तस बनी हुई है.