दरभंगा न्यूज़: जिस रफ्तार से शहर की सीमाएं बढ़ रही हैं, उसी प्रकार बड़ी-बड़ी इमारतों की संख्या भी बढ़ती जा रही है. लेकिन इनमें भवन मालिकों द्वारा सुरक्षा के मानकों की अनदेखी की जा रही है. शहर के कई इलाकों में पांच से छह फीट चौड़ी तंग गलियों में बहुमंजिली इमारतें खड़ी कर दी गई हैं. ऐसे में इन तंग गलियों में अग्निशमन की गाड़ियां भी नहीं पहुंच पाती हैं. यदि आग लग जाए तो जान-माल का नुकसान हो सकता है. जानकारों का कहना है कि बिहार में फायर एक्ट नहीं होने से लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं होती है. इससे तंग गलियों में अपार्टमेंट बनाने वालों के हौसले बुलंद हैं.
शहर के बलभद्रपुर, बाकरगंज, राजकुमारगंज, कादिराबाद, रहमगंज, अल्लपट्टी, दोनार कटरहिया, दरभंगा टावर का इलाका, उर्दू आदि मोहल्लों में संकीर्ण गलियों में बहुमंजली इमारतें तो खड़ी कर दी गई, लेकिन इन इलाकों की कई इमारतों में न तो आग पर काबू पाने की कोई व्यवस्था है और न ही दमकल की बड़ी गाडियों के पहुंचने के लिए चौड़ी सड़क बनायी गयी है. इन इलाकों में यदि भीषण आग लगने की समस्या होती है तो वहां रहने वाले लोगों को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है.
बदलते परिवेश व जगह की कमी के कारण लोग अपार्टमेंट व फ्लैट सिस्टम की कॉलोनियों में रहने लगे हैं. कई लोग सुरक्षा की दृष्टि से प्लैट में रहना पसंद करते हैं. इन बिल्डिंगों में रह रहे लोगों की सुरक्षा सबसे अहम होती है. खास तौर पर आग लगने की स्थिति में बुझाने की कवायद में खासी मशक्कत करनी पड़ती है. शहर में दमकल की कमी नहीं है.
शहरी क्षेत्र में 15 मीटर से अधिक ऊंचाई वाले मकानों में अग्निशमन किट लगाना अनिवार्य है. शहर के कई इलाकों में संकीर्ण गलियों में बड़े-बड़े भवनों का निर्माण लोगों ने किया है. उन जगहों पर दमकल की बड़ी गाड़ियां पहुंचना नामुमकिन है.
-शशिभूषण सिंह, फायर स्टेशन ऑफिसर