पटना न्यूज़: राज्य में भीषण गर्मी के बावजूद पंखों का कारोबार ठंडा पड़ता जा रहा है. गर्मी के मौसम में स्थानीय से लेकर ब्रांडेंड पंखों की बिक्री नहीं होने से व्यापारियों में बचैनी है. राज्य में प्रतिवर्ष लगभग 50 लाख छोटे-बड़े पंखों की बिक्री होती है. इस वर्ष पंखों की बिक्री का ट्रेंड व्यापारियों के लिए चिंता का कारण बन गया है. पी-गार्ड पंखों के निर्माता बिनोद अग्रवाल कहते हैं कि इस वर्ष पंखें की मांग में 70 प्रतिशत से ज्यादा की गिरावट आयी है. दिल्ली और कोलकाता से प्रतिवर्ष मंगाए जाने वाले पंखों के पार्ट्स की आवक लगभग बाधित है. यही हाल रहा तो पंखा निर्माण की कई इकाई इस वर्ष के आखिर तक बंद हो जाएंगी. बताते चलें कि बाजार में स्थानीय व ब्रांडेंड पंखों की तीन सौ से ज्यादा कंपनियां कारोबार कर रही हैं. पंखों की बिक्री नहीं होने के कारण कारोबारियों के गोदामों में पंखों की 35 लाख यूनिट से ज्यादा माल भरा हुआ हैं. इसकी कीमत 350 करोड़ रुपये से ज्यादा है. गर्मी के सीजन में बिक्री गिरने से नए पंखों का ऑर्डर रद्द किया गया है. पंखों की बिक्री साल में आठ महीने होती है.
कूलर व एसी खरीद रहे
कारोबारी बताते हैं कि 1 जनवरी से स्टार रेटिंग के कारण पंखों की कीमत हजार-12 सौ रुपये से बढ़कर डेढ़ से दो हजार रुपये के बीच पहुंच गई है. दूसरी तरफ कूलर की कीमतों में कमी आयी है. अब तीन हजार रुपये से शुरू होने वाले मध्यम रेंज के कूलर बाजार में उतारे गए हैं. कई ग्राहक ईएमआई की सुविधा के चलते पंखा के बजाए एयर कंडीशन (एसी) खरीद रहे हैं.
ग्रामीण इलाकों में भी पंखों की मांग घटी है. चांदनी मार्केट में पंखों के कारोबारी सुनील अग्रवाल बताते हैं कि ग्रामीण इलाकों से आने वाली मांग में 55 से 60 प्रतिशत तक की कमी आ गई है. पटना से विभिन्न तरह के पंखों की आपूर्ति (सप्लाई) नेपाल बार्डर से लेकर झारखंड के रांची, किशनगंज, गुवाहाटी सहित कई शहरों में होती है. ग्रामीण इलाकों में लोग लोकल पंखें ज्यादा खरीदते हैं.