पटना: बिहार सहित देशभर में 21 वीं पशुगणना सितंबर से दिसंबर तक होगी. सूबे में 2 करोड़ 60 लाख 71 हजार घरों में जाकर पालतू पशुओं की गिनती होगी. इसके लिए ग्रामीण क्षेत्र में 2 करोड़ 25 लाख 40 हजार घरों और शहरी क्षेत्र के 35 लाख 31 हजार घरों में प्रगणक जाएंगे. पशुओं की नस्ल की भी जानकारी ली जाएगी. हजार से अधिक कर्मी लगाए जाएंगे. इनमें 8400 से अधिक प्रगणक और 1600 से अधिक पर्यवेक्षक शामिल होंगे. फाइनल रिपोर्ट अप्रैल 2025 तक आने की संभावना है.
एप से गणना होगी. संबंधित सॉफ्टवेयर लगभग डेवलप किया गया है. सॉफ्टवेयर की जांच इसी माह होगी. प्रगणक और पर्यवेक्षकों का प्रशिक्षण मई से अगस्त तक पूरा करने का लक्ष्य है. सितंबर से दिसबर तक पशुगणना के बाद डाटा एप्रूवल जनवरी 2025 तक लक्ष्य है. पिछले दिनों दिल्ली में पशुगणना के लिए सभी राज्यों के पशुपालन विभाग के सचिव या संबंधित अधिकारियों के साथ पहली बैठक हुई थी. इसमें तैयारी व डेटलाइन भी तय की गई.
गाय, भैंस, भेड़, बकरी, घोड़ा, गदहा, खच्चर, कुत्ता, मुर्गी, खरगोश आदि की गिनती होगी. प्रगणक द्वारा पशुपालक का नाम लिखा जाएगा. पूछा जाएगा कि उनके पास कुल कितने पशु हैं. अलग पशुओं की गिनती अलग होगी.
क्या होगा फायदा:
● राज्य में पशुओं की कुल संख्या की जानकारी होगी
● पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए योजना बनाने में मदद
● पशुओं के नस्ल की जानकारी मिलेगी
देश में पहली पशुगणना वर्ष 1919 में हुई
भारत में पहली पशुगणना 1919 में हुई थी. यह हर पांच वर्ष पर होती है. पिछली बार 20 वीं पशुगणना 2017 में शुरू हुई, लेकिन देरी के कारण 2019 में रिपोर्ट जारी हुई थी. इसके पहले 19 वीं पशुगणना 20 में हुई थी.
पिछली गणना में गाय 25 बढ़ी, गदहे 47 फीसदी घटे
20 की तुलना में 2019 की रिपोर्ट के अनुसार गाय की संख्या 25 और भैंस में 2 बढ़ोतरी हुई. घोड़े में 34 और गदहे में 47 की कमी हुई. 47 सूअर और 25 भेड़ घट गए. पूरे देश में पशुधन में कुल 4.63 बढ़ोतरी हुई थी, जबकि बिहार में कुल पशुधन .67 बढ़े. सबसे ज्यादा 23 पश्चिम बंगाल में बढ़े. पूरे देश में गाय पालन में सबसे अधिक वृद्धि झारखंड में 28 हुई. बिहार में सूअर की संख्या में 47 कमी हुई थी तो झारखंड में 32 बढ़े.
हरियाणा में 72 तो राजस्थान में 34 ऊंट की संख्या घट गई.