बिहार

थारू आदिवासी हर 5 साल पर खुद करते हैं अपनी आबादी की गणना

Admin Delhi 1
6 Oct 2023 5:40 AM GMT
थारू आदिवासी हर 5 साल पर खुद करते हैं अपनी आबादी की गणना
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गया: पश्चिम चंपारण के थरुहट क्षेत्र के जंगलों में बसे थारू आदिवासी हर पांच वर्ष पर खुद अपनी आबादी की गणना करते हैं. समुदाय के 264 गांवों वाले इस क्षेत्र में यह परंपरा सौ वर्षों से अधिक से चली आ रही है. पहले गणना केवल आबादी की संख्या जानने तक सीमित होती थी परंतु अब समाज के लोगों की आर्थिक और शैक्षणिक स्थिति का ब्योरा भी जुटाया जाता है.

जनगणना के लिए थरुहट क्षेत्र में आदिवासियों के 264 गांवों में प्रत्येक घर तक पहुंचकर ब्योरा लिया जाता है. जनगणना का काम तीन स्तरों पर होता है. पहले गांव के छह लोगों की टीम बनती है. इसमें दो बुजुर्ग, दो महिलाएं, एक युवा व एक गुमास्ता शामिल होते हैं. स्वयंसेवी लोगों की यह टीम घर-घर जाकर आंकड़े जुटाती है. ग्रामवार जनगणना के बाद रिपोर्ट गुमास्ता के जरिए तपा को सौंपी जाती है. तपा में सभी गांवों को समेकित करने के बाद उस रिपोर्ट को महासंघ में केन्द्रीय कमेटी के बीच रखा जाता है. इसके बाद अंतिम गणना रिपोर्ट जारी की जाती है. पूरी प्रक्रिया में लगभग एक साल का समय लगता है.

अखिल भारतीय थारू कल्याण महासंघ के अध्यक्ष दीपनारायण प्रसाद ने बताया कि समय-समय पर जनगणना के प्रारूप में बदलाव किया जाता है. पहले सिर्फ संख्या का पता लगाया जाता था. अब इसके साथ शिक्षा, नौकरी, आर्थिक-सामाजिक स्थिति आदि को भी शामिल किया जा रहा है. जनसंख्या की रिपोर्ट आने के बाद राजस्व व लोगों की संख्या के आधार पर गांवों की आबादी के पुराने आंकड़ों में सुधार किया जाता है. इस जनगणना का परिणाम है कि पांच साल पूर्व आदिवासियों के 231 गांव अब यह बढ़कर 264 हो गए हैं.

क्या है तपा

तपा का मतलब क्षेत्र होता है. थारुओं की सामाजिक व्यवस्था के बेहतर संचालन के लिए 264 गांवों को 6 भागों में बांटा गया है. इसे तपा कहा जाता है. गांवों को भौगोलिक स्थिति के आधार पर तपा में शामिल किया गया है.

जातिगत जनगणना के राज्य सरकार के आंकड़े और थारुओं के अपने स्रोत से जुटाए आंकड़े लगभग बराबर हैं. सरकार के आंकड़ों के अनुसार, थारुओं की आबादी 1 लाख 92 हजार है. वहीं, थारुओं की जनगणना में चार तपाओं की गिनती में 01 लाख 30 हजार आबादी है. बाकी दो तपाओं में करीब 60 गांव हैं. उन गांवों का आंकड़ा आने के बाद संख्या बराबर हो सकती है.

-दीपनारायण प्रसाद, अध्यक्ष, अखिल भारतीय थारू कल्याण महासंघ

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