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बेगूसराय। सनातन संस्कृति के अधिष्ठाता और विविधता में एकरूपता का संदेश देने वाले भारत में सालों भर पर्व-त्योहारों की श्रृंखला लगी रहती है।लगातार किसी ना किसी व्रत और पर्व में महिलाएं अपने पति, पुत्र, परिवार के दीर्घायु जीवन तथा सुख-समृद्धि की कामना कर भारत के सनातन धर्म को जीवंतता प्रदान करती है। इन्हीं पर्व-त्योहारों की श्रृंखला में अखंड सुहाग और सौभाग्य वृद्धि का व्रत तीज शुरू हो गया है। जिसमें मंगलवार की सुबह से बुधवार की सुबह तक विवाहिताएं निर्जला उपवास पर रहकर गौरी-शंकर की पूजा करेगी।
तीज और हरितालिका तीज के नाम से जाना जाने वाला यह व्रत पूरे देश में मनाया जाता है। लेकिन मिथिला में इसकी खूबसूरती ने कुछ अलग ही रंग बिखेर दिया है। सोमवार को नहाय-खाय करने के बाद मंगलवार को सुबह चार बजे से पहले व्रतियों ने बगैर नमक के विभिन्न खाद्य सामग्री ग्रहण कर निर्जला उपवास शुरू किया है। इस दौरान मिथिला के करीब तमाम घरों में मैथिली, अंगिका और हिंदी गीतों की धूम मची हुई है।
महिलाएं समूह बनाकर परंपरा के अनुसार गीत गाते हुए पूजा-अर्चना कर रही है। हर घर गूंज रहा है ''हम तो अपने पियाजी के रूप में देखिला श्रीराम के, सीता बनके पूजव उनके चरण में माला जाप उनके नाम के।'' इसके अलावा बेगूसराय की बहू बिहार कोकिला शारदा सिन्हा के गीत भी खूब बज रहा है। पर्व को लेकर नवविवाहितओं के मायके में जहां उत्साह का माहौल, वहीं ससुराल पक्ष इस कठिन व्रत को पूरा करवाने में जुटे हुए हैं। इस अवसर पर तमाम शिवालय में पूजा-अर्चना के लिए सुबह से ही लोगों की भीड़ जुटी हुई है।
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