बिहार
सुशील मोदी ने नीतीश से की इस्तीफे की मांग, अतिपिछड़ों को आरक्षण से वंचित करने के लिए CM को ठहराया जिम्मेदार
Shantanu Roy
10 Oct 2022 11:11 AM GMT

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पटना। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और पूर्व उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने आरोप लगाया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अत्यंत पिछड़े वर्गों (ईबीसी) के प्रति उदासीन रवैया अपना रहे हैं, जो सामान्यत: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने यहां एक संवाददाता सम्मेलन में शहरी निकाय चुनावों में अन्य पिछड़े वर्गों (ओबीसी) और ईबीसी के लिए कोटे को पटना उच्च न्यायालय द्वारा अवैध घोषित किए जाने को लेकर नीतीश कुमार को जिम्मेदार ठहराया और उनके इस्तीफे की मांग की। अदालत के फैसले से चुनाव प्रक्रिया अधर में लटक गई है।
"CM की जिद के कारण AG को बदलनी पड़ी राय"
सुशील मोदी ने दावा किया, ''राज्य के महाधिवक्ता ललित किशोर ने चार फरवरी और 12 मार्च को पत्राचार के माध्यम से राज्य सरकार को इस तरह के आरक्षण के लिए उच्चतम न्यायालय के 'ट्रिपल टेस्ट' मानकों पर अमल के लिए एक आयोग गठित करने की सलाह दी थी। राज्य चुनाव आयोग (एसईसी) ने भी इस मामले में 22 मार्च और 11 मई को सरकार से निर्देश मांगा था।'' उन्होंने दावा किया, "लेकिन, मुख्यमंत्री की जिद के कारण, महाधिवक्ता को अपनी राय बदलनी पड़ी। हालांकि, राज्य चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश में हुए नगरपालिका चुनावों को प्रभावित करने वाले उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर एक बार फिर कहा कि बिहार में भी (ऐसे आरक्षण के लिए) 'ट्रिपल टेस्ट' के सिद्धांत का पालन किया जाना चाहिए।'' इस मामले में टिप्पणी के लिए महाधिवक्ता से सम्पर्क नहीं हो सका है।
"ईबीसी के 'अपमान' के लिए नैतिक जिम्मेदारी लें नीतीश"
राज्यसभा सांसद ने ने जोर देकर कहा कि एसईसी और राज्य सरकार के विरोधाभासी दृष्टिकोण के कारण उच्च न्यायालय ने चार अक्टूबर को आरक्षण रद्द कर दिया। पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, "नीतीश कुमार जानते हैं कि ईबीसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समर्थक हैं इसलिए उन्होंने उनके हाल पर छोड़ दिया है। हम मांग करते हैं कि ओबीसी और ईबीसी कोटा के लिए सभी आवश्यक मानदंडों को पूरा करते हुए नगर निगम चुनाव जल्द से जल्द कराए जाएं।'' मोदी ने साथ ही यह भी कहा कि जिन उम्मीदवारों ने चुनाव प्रचार में अपना पैसा गंवाया है, उन्हें राज्य सरकार मुआवजा दे।
उन्होंने यह भी मांग की कि कुमार ईबीसी के 'अपमान' के लिए नैतिक जिम्मेदारी लें और अपना इस्तीफा दें। सुशील मोदी ने याद दिलाया कि जब 2007 में शहरी स्थानीय निकायों में ईबीसी के लिए कोटा लागू किया गया था, तब वह राज्य के शहरी विकास मंत्री थे। उन्होंने आरोप लगाया, ''ट्रिपल टेस्ट के मानकों के अनुपालन का उच्चतम न्यायालय का आदेश पिछले 12 महीनों से लागू है। नीतीश कुमार अड़े रहे और इस धारणा के तहत काम करते रहे कि सिर्फ इसलिए कि 2007, 2012 और 2017 में 'ट्रिपल टेस्ट' के बिना चुनाव हुए थे और उन्हें इस बार भी अनुमति दी जाएगी। (लेकिन) परिणाम एक ऐसे फैसले में रूप में आया है, जो ईबीसी को उनके अधिकारों से वंचित करता है।''
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