बिहार

सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट को दिया ये निर्देश, नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर फंस सकता है पेंच

Renuka Sahu
20 Sep 2022 3:06 AM GMT
Supreme Court gave this direction to the High Court regarding OBC reservation, the issue of reservation in municipal elections may get stuck
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न्यूज़ क्रेडिट :firstbihar.com

बिहार में हो रहे नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर पेंच फंस सकता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में हो रहे नगर निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर पेंच फंस सकता है। निकाय चुनाव में आरक्षण को लेकर मामला सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में सुना गया। सुप्रीम कोर्ट में एक याचिकाकर्ता ने ओबीसी आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट की तरफ से जारी निर्देशों को लागू करने के लिए राज्य और उसके पदाधिकारियों को निर्देश देने का अनुरोध किया था। इस मामले पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने पटना हाई कोर्ट से जल्द सुनवाई करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट में स्थानीय निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी आरक्षण को लागू करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है कि पटना हाईकोर्ट इस मामले में जल्द सुनवाई करे। याचिकाकर्ता सुनील कुमार की तरफ से सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था।

सोमवार को इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि नगर निकाय चुनाव 10 अक्टूबर 2022 को होने हैं, यदि हाईकोर्ट में इस याचिका की सुनवाई पहले होती है तो यह सही होगा। सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने यह भी कहा कि मुख्य न्यायाधीश 23 सितंबर को खत्म हो रहे मौजूदा सप्ताह के दौरान अपनी सुविधा के मुताबिक की याचिका पर सुनवाई कर सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट की इस टिप्पणी के बाद यह माना जा रहा है कि अगले 3 दिनों के अंदर हाई कोर्ट इस मामले पर सुनवाई कर सकता है।
आपको बता दें कि बिहार के स्थानीय निकायों में ओबीसी के आरक्षण को तय करने के लिए याचिकाकर्ता सुनील कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के पुराने आदेश को ही आधार बनाया। सुप्रीम कोर्ट ने दिसंबर- 2021 में कहा था कि स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण की अनुमति तब तक नहीं दी जाएगी, जब तक कि सरकार उच्चतम न्यायालय के 2010 के आदेश में निर्धारित 'तीन 'जांच' की अर्हता पूरी नहीं कर लेती है। तीन जांच के प्रावधान के तहत राज्य सरकार को हर स्थानीय निकाय में ओबीसी के पिछड़ेपन पर आंकड़े जुटाने के लिए एक विशेष आयोग गठित करने और आयोग की सिफारिशों के आलोक में हर स्थानीय निकाय में आरक्षण का अनुपात तय करने की जरूरत है। साथ ही यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता है कि अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति / ओबीसी के लिए इस तरह के आरक्षण की सीमा कुल सीट संख्या के 50 प्रतिशत को पार नहीं करे। शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि जब तक 'तीन जांच' की अर्हता पूरी नहीं कर ली जाती है, ओबीसी सीट को सामान्य श्रेणी की सीट के तहत पुनः अधिसूचित किया जाए।
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