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पटना, (आईएएनएस)| पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा जनता दल (यूनाइटेड ) को छोड़कर नई पार्टी राष्ट्रीय लोक जनता दल बना ली है, लेकिन आगे की राह कुशवाहा के लिए आसान नहीं दिखती।
उनके सामने सबसे बड़ी चुनौती अपने समाज के वोटों को अपने पास बनाए रखना और जदयू के लव कुश (कोइरी, कुर्मी) वोटो को जोड़े रखना है।
बिहार की सियासत को गौर से देखें तो बिहार में फिलहाल सत्ताधारी महागठबंधन और भाजपा नीत एनडीए दो गठबंधन आमने सामने हैं। इतना तय है कि बिहार के छोटे दल इन दोनों गठबंधन में शामिल होंगे।
फिलहाल जो स्थिति बनी है उसमे कुशवाह का एनडीए के साथ जाना तय माना जा रहा है। वैसे, एनडीए में कुशवाहा की क्या भूमिका होगी, इस पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी, लेकिन यह तय माना जा रहा है कि भाजपा कुशवाहा के आंके बिना अगले लोकसभा चुनाव के लिए कोई समझौता करेगी।
यह भी तय है कि नीतीश कुमार को सत्ता तक पहुंचाने में लव कुश समीकरण को बड़ी भूमिका रही है। कुशवाहा हालांकि कुशवाहा समाज से आते हों, लेकिन उनमें इतना दम नहीं कि वे किसी भी गठबंधन को कुशवाहा समाज का एकमुश्त वोट ट्रांसफर करवा सके।
वैसे, यह भी तय है कि कुशवाहा कभी भी अकेले दम पर अपने समाज का वोट लेने में कामयाब नहीं रहे हैं। बिहार की राजनीति में इस समाज के कई बड़े नेता सक्रिय हैं।
कहा जा रहा अगर भाजपा कुशवाहा समाज के वोटों के लिए अपने ही बड़े नेताओं पर विश्वास जताया, तब कुशवाहा के लिए एनडीए में राह आसान नहीं होगी।
वैसे, भाजपा के सूत्रों का कहना है कि भाजपा के साथ आने वाली पार्टियां कितनी हिस्सेदारी लेकर आते हैं, उसी आधार पर भाजपा उनकी जिम्मेदारी या हिस्सेदारी भी तय करेगी।
कुशवाहा अब तक तीन पार्टी बना चुके हैं, जिससे उनकी विश्वनीयता घटी है।
--आईएएनएस
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Rani Sahu
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