बिहार

बिहार का ऐसा स्कूल जहां की छात्राएं रखती हैं गुरुजी की हर घंटी का हिसाब, शिक्षकों को सैलरी देते हैं पैरेंट्स

Renuka Sahu
5 Aug 2022 3:26 AM GMT
Such a school in Bihar, where the girls keep the account of every bell of Guruji, parents give salary to the teachers
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फाइल फोटो 

बिहार में एक स्कूल ऐसा भी है जहां की छात्राएं हर घंटी में अपने गुरुजी की शैक्षिक गतिविधि का लेखा-जोखा रखती हैं।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। बिहार में एक स्कूल ऐसा भी है जहां की छात्राएं हर घंटी में अपने गुरुजी की शैक्षिक गतिविधि का लेखा-जोखा रखती हैं। शिक्षक भी समय से स्कूल पहुंचने और सही से क्लास लेने के लिए सजग रहते हैं। स्कूल में टीचरों की कमी थी, तो अभिभावकों ने खुद फंड जुटाकर 15 शिक्षकों को काम पर रखा। कैमूर जिले के रामगढ़ में स्थित आदर्श गर्ल्स +2 सेकेंडरी हाई स्कूल शिक्षा की प्रयोगशाला की रूप में हमेशा से सुर्खियों में रहा है। इस स्कूल में मिनटों में यह जानना संभव है कि किस दिन किस घंटी में किस शिक्षक ने कौन सा टॉपिक पढ़ाया है। अगर शिक्षक स्कूल आए हैं और कक्षा में पढ़ाने नहीं गए तो उनकी जगह किस शिक्षक ने क्या पढ़ाया, इसका ब्योरा भी उपलब्ध है। इसके लिए बाकायदा कक्षावार रजिस्टर है, जिसका संचालन हर सेक्शन की वर्ग मॉनिटर व सहयोगी छात्राएं करती हैं।

स्कूल में यह नया प्रयोग मौजूदा सत्र से शुरू किया गया है। हेडमास्टर अनिल कुमार सिंह ने बताया कि इस व्यवस्था से शिक्षक अपने दायित्वबोध और छात्राएं अपनी पढ़ाई के प्रति विशेष लगाव रखने में अभ्यस्त हो गई हैं। दरअसल, स्कूल का संचालन 'गार्जियन गवर्नमेंट' करती है। यह गवर्नमेंट प्रबंध समिति के नेतृत्व में हमेशा स्कूल की प्रगति के लिए नया-नया प्रयोग करती रही है और उसमें आशातीत सफलता भी मिली है।
मसलन शिक्षकों की कमी को पाटने के लिए अभिभावक फंड से इस स्कूल में 15 शिक्षक रखे गए हैं। हेडमास्टर सहित 14 सरकारी शिक्षक हैं, जबकि छात्राओं की संख्या 2400 है। दूरदराज की छात्राओं के लिए बसें भी संचालित की जाती हैं। तीन साल पहले जब स्कूल के प्रधान शिक्षक की जिम्मेदारी अनिल कुमार सिंह को मिली तो उन्होंने नौंवी-दसवीं कक्षा में सुपर-90 की व्यवस्था लागू की।
सप्ताह में एक दिन होता है 'नो बैग डे'
जांच परीक्षा में मेरिट लिस्ट के आधार पर बेहतर 90 छात्राओं का सेक्शन बनाया। मैट्रिक का रिजल्ट अच्छा आया तो इंटर में सुपर- 40 की व्यवस्था लागू की। इसके बाद शनिवार को 'नो बैग डे' घोषित कर छात्राओं को किताबी ज्ञान से हटकर सकारात्मक गतिविधियों से जोड़ने की मुहिम शुरू की। यह जिले का पहला हाई स्कूल रहा जिसने तीन साल पहले कमरों की कमी के कारण छात्राओं को दो शिफ्ट में पढ़ाने का सफल प्रयोग किया। हालांकि बाद में नये कमरों के निर्माण के बाद दो शिफ्ट की पढ़ाई बंद कर दी गई।
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