बिहार
शेल्टर होम के बारे में आपत्तिजनक टिप्पणी करने पर एसपी ने बैरिया थानाध्यक्ष को किया सस्पेंड
Deepa Sahu
5 April 2022 5:43 PM GMT
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शेल्टर होम के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी करने मामले में बेतिया एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने बैरिया थाना अध्यक्ष दुष्यंत कुमार को निलंबित कर दिया है.
बेतिया: शेल्टर होम के संबंध में आपत्तिजनक टिप्पणी करने मामले में बेतिया एसपी उपेंद्र नाथ वर्मा ने बैरिया थाना अध्यक्ष दुष्यंत कुमार को निलंबित कर दिया है. दरअसल, थानाध्यक्ष ने शेल्टर होम के संबंध में कहा था कि शेल्टर होम में लड़कियों का यौन शोषण होता है. इस खबर को एबीपी ने प्रमुखता से चलाया, जिसके बाद बेतिया एसपी ने पूरे मामले में कार्रवाई की है. दरअसल, बैरिया थाना अध्यक्ष ने गुमशुदगी के बाद बरामद हुई लड़की के परिजनों को उसे शेल्टर होम में ना भेजने की नसीहत दी थी.
थानाध्यक्ष ने कही थी ये बात
पीड़ित परिवार को नसीहत देते हुए उन्होंने कहा था कि बालिका सुधार गृह यानी शेल्टर होम में लड़कियों का शोषण होता है. शाम होते ही बड़ी-बड़ी गाड़ियां शेल्टर होम के बाहर आती हैं और लड़कियों को अपने साथ बाहर लेकर जाती हैं. इसलिए लड़कियों को शेल्टर होम में नहीं रखना चाहिए. शेल्टर होम की लड़कियों के साथ कोई शादी भी नहीं करता. थानाध्यक्ष के इस बयान का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. चौकीदार के बेटे का सामने आया था नाम
दरअसल, प्रदेश के पश्चिमी चंपारण जिले के बैरिया थाना क्षेत्र के एक गांव से 23 मार्च को नाबालिग लड़की का अपहरण हो गया था. अपहरण का आरोप जिले के बैरिया थाना के चौकीदार शम्भू साह के बेटे सुधीर पर लगा था. परिजनों ने आवेदन दिया तो पुलिस ने आनाकानी कर केस दर्ज नहीं किया. लेकिन पीड़ित परिवार एसपी के पास पहुंच गया, तब जाकर मामले में केस दर्ज हुआ. इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए लड़की को बरामद कर लिया और न्यायालय में उसका बयान भी करा लिया.
हालांकि, लड़की की बरामदगी के बाद घरवाले उसे अपने साथ ले जाना को तैयार नहीं हुए. ऐसे में पुलिस द्वारा जबरन लड़की को उसके घर भेजने के लिए दवाब बनाया जाने लगा. इसी क्रम में बैरिया थानाध्यक्ष दुष्यंत कुमार ने पीड़ितों को कहा कि चौकीदार के पुत्र पर आरोप है तो वह चौकीदार का ही पक्ष लेंगे.
इतना ही नहीं थानाध्यक्ष ने रिमांड होम की हकीकत बताकर लड़की के घरवालों को डराने का भी प्रयास किया. इसके बावजूद घरवाले लड़की को अपने साथ नहीं ले जाने को तैयार नहीं हुए. ऐसे में थानाध्यक्ष द्वारा बार-बार दबाव बनाए जाने के कारण उन्होंने उनका ऑडियो रिकॉर्ड कर वायरल कर दिया.
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