बिहार

जवानों ने बॉर्डर से स्कॉर्पियो से 15 लाख का गांजा जब्त किया

Admindelhi1
18 April 2024 6:13 AM GMT
जवानों ने बॉर्डर से स्कॉर्पियो से 15 लाख का गांजा जब्त किया
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जब्त गांजे की अनुमानित कीमत सीमावर्ती बाजार में करीब 15 लाख रुपये आंकी गई

मधुबनी: पिपरौन एसएसबी कैम्प के जवानों ने बॉर्डर से किलोमीटर दूर बेता परसा गांव में छापेमारी कर स्कॉर्पियो से 147.750 किलो गांजा जब्त कर लिया. जबकि इस कार्रवाई के दौरान चालक और धंधेबाज फरार हो गये. जब्त गांजे की अनुमानित कीमत सीमावर्ती बाजार में करीब 15 लाख रुपये आंकी गई है.

बताया जा रहा है कि नेपाल से गांजे की तस्करी कर दिघीया बॉर्डर पर जमा किया गया था. वहां से गांजे को स्कोर्पियो में लादकर दरभंगा भेजा जा रहा था. इसकी सूचना मिलने पर एसएसबी ने गाड़ी का पीछा करते हुए बेता परसा गांव में दबोच लिया. लेकिन तस्कर गाड़ी छोड़कर फरार हो गए. जानकारी के अनुसार, बेता परसा गांव से बरही गांव होते हुए तस्कर हिसार-बेनीपट्टी मुख्य सड़क से दरभंगा जा रहे थे.

एसएसबी 48 वीं वाहिनी जयनगर के कमांडेंट गोविंद सिंह भंडारी ने बताया कि पिपरौन एसएसबी कंपनी इंचार्ज निरीक्षक सुनील दत्त व अन्य जवानों ने विशेष नाका ड्यूटी के दौरान बॉर्डर पीलर संख्या 287/23 से करीब किमी दूर बेता परसा गांव में एक निजी स्कूल के निकट यह कार्रवाई की. गांजा व बरामद स्कॉर्पियो को न्यायिक प्रकिया के लिए हरलाखी थाना हवाले कर दिया गया है.

आदेश के बाद भी नहीं मिली मजदूरी: नगर आयुक्त अनिल कुमार चौधरी के सख्त आदेश और एजेंसी को शोकॉज करने के बाद भी आउटसोर्सिंग एजेंसी प्रताप सेवा संकल्प, मुजफ्फरपुर से काम करने वाले 30 प्रतिशत सुपरवाइजर व मजदूरों को भुगतान नहीं किया गया है. जबकि एजेंसी को नगर निगम के द्वारा फरवरी माह का भुगतान होली से पहले ही कर दिया गया है.

इसके बाद एजेंसी के द्वारा मजदूरों को पैसा नहीं दिया गया है. इसके बाद भी मजदूरों का भुगतान नहीं किया गया है. जिन मजदूरों को राशि दी भी गई है, उसे बिना किसी हिसाब किताब का दिया गया है. मजदूरों को उसके खाता में राशि दिये जाने का प्रावधान है. लेकिन एजेंसी ने अनियमितता बरतते हुए मजदूरों को बिना कारण राशि की कटौती कर राशि का भुगतान नकद किया है. मजदूरों को राशि नहीं दिये जाने के बाद पिछले दिन हड़ताल कर दिया गया था. जिससे खफा मेयर, डिप्टी मेयर, नगर आयुक्त के साथ वार्ड पार्षदों ने बैठक की और 24 घंटे में भुगतान का अल्टीमेटम दिया गया. इसके बाद भी भुगतान लंबित रहा. इसके बाद नगर आयुक्त के द्वारा एजेंसी को अनियमित कार्यशैली, मजदूरों के भुगतान के साक्ष्य नहीं दिये जाने, आदेश की अवहेलना, सिटी मैनेजर के द्वारा दिये गये निर्देशों के लगातार उल्लंघन किये जाने को लेकर शोकॉज किया गया है. इसके बाद भी एजेंसी के द्वारा न तो कार्यो में सुधार किया गया है और न ही मजदूरों को उनकी मजदूरी का भुगतान किया गया है. जिससे नाराज मजदूरों ने एकबार फिर से काम ठप करने का मन बनाया है. नगर आयुक्त ने एजेंसी को मार्च माह की भी मजदूरी का भुगतान करते हुए उसकी रिपोर्ट समर्पित करने का निर्देश दिया था.

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