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बिहार | लनामिवि में सत्र नियमित करने की प्रक्रिया से छात्रों में बेचैनी है. एक माह मंं छह माह का कोर्स पूरा करा परीक्षा लेने की व्यवस्था ने शिक्षा की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. विवि प्रशासन शिक्षा विभाग और राजभवन के दबाव का बहाना बनाकर पल्ला झाड़ रहा है, वहीं छात्र इस बात को लेकर परेशान हैं कि वे बिना पढ़ाई परीक्षा का सामना करने के लिए मजबूर हैं.
विवि में पीजी के सत्र विलंब से चल रहे हैं. शिक्षा विभाग व राजभवन के स्तर से सत्र नियमित करने को लेकर दबाव पड़ा तो विश्वविद्यालय ने इसके लिए जो रास्ता निकाला उसमें शिक्षा की गुणवत्ता हाशिए पर है. विवि प्रशासन से विमर्श कर सत्र 2021-23 को नियमित करने के लिए तीन जुलाई को गजट अधिसूचना जारी की गई थी. इस आलोक में इस सत्र के तृतीय सेमेस्टर की परीक्षा अगस्त में ली गई और चतुर्थ सेमेस्टर की परीक्षा 27 अक्टूबर से प्रस्तावित है. इस बीच फरवरी में सत्र 2022-24 की नामांकन प्रक्रिया शुरू हुई जो जून तक चली. इस सत्र को लेकर अधिसूचना जारी नहीं हुई, लेकिन विश्वविद्यालय की प्रक्रिया से इस सत्र के छात्र भी परेशान हैं.
इस सत्र के प्रथम सेमेस्टर की परीक्षा भी अगस्त में ले ली गई, जबकि द्वितीय सेमेस्टर की परीक्षा 27 अक्टूबर से होने वाली है. परीक्षा के लिए कक्षाएं पूरी कर पाठ्यक्रम पूरा करने का दावा तो किया जा रहा है, लेकिन उन कक्षाओं में छात्रों की उपस्थिति या शिक्षा की गुणवत्ता की किसी स्तर पर समीक्षा नहीं हो रही. छात्र व शिक्षक विश्वविद्यालय का फरमान मानने को मजबूर हैं. छात्रों का कहना है कि कक्षाओं के नाम पर खानापूरी और परीक्षा आयोजन कर विश्वविद्यालय सत्र नियमित कर अपनी पीठ थपथपाने में लगा हुआ है.
साइंस डीन भी उठा चुके प्रक्रिया पर सवाल सत्र नियमित करने की इस प्रक्रिया पर साइंस डीन प्रो. प्रेम मोहन मिश्रा भी सवाल उठा चुके हैं. 25 मार्च को ही उन्होंने कुलाधिपति के समक्ष अपनी आपत्ति दर्ज करा इस तरह की प्रक्रिया को छात्र हित के प्रतिकूल बताया था. उन्होंने क्रमिक रूप से सत्र नियमित करने को लेकर कई सुझाव भी दिए थे. वहीं, द्वितीय सेमेस्टर का कार्यक्रम जारी होने के बाद प्रो. मिश्रा ने कम से कम दो माह कक्षा आयोजित करने का अनुरोध किया था. राजभवन ने उनके प्रस्ताव पर सम्यक निर्णय का निर्देश भी विवि प्रशासन को दिया, लेकिन उसे नजरअंदाज कर दिया गया.
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