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बिहार | बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर में वित्तीय अनियमितता के मामले में शिक्षा विभाग ने एफआईआर दर्ज के आदेश दिए हैं. अंकेक्षण के दौरान विभाग ने गड़बड़ी पकड़ी है.
विभाग की उच्च शिक्षा निदेशक डॉ. रेखा कुमारी ने विश्वविद्यालय के कुलसचिव को पत्र लिख कर दोषी अधिकारियों के खिलाफ तीन दिनों के अंदर कार्रवाई करने को कहा है.
शिक्षा विभाग की उच्च शिक्षा निदेशक ने दोषी पदाधिकारियों और कर्मचारियों पर स्थानीय थाने में एफआईआर दर्ज कराने को कहा है. वित्तीय अनियमितता के साथ ही राज्य सरकार द्वारा दी गई राशि का दुरुपयोग पाए जाने के बाद यह आदेश दिया गया है.
विभाग ने कहा है कि अंकेक्षण रिपोर्ट में विश्वविद्यालय में वित्तीय मामलों में कई अनियमितताएं स्पष्ट होती हैं. अगस्त के तीसरे सप्ताह में विश्वविद्यालय में अंकेक्षकों की टीम कई थी.
एक कंपनी से 38 लाख की स्टेशनरी का सामान बिना निविदा प्रक्रिया के लिया गया.
बिना निविदा एवं बिना एकरारनामा के प्रश्नपत्रों की छपाई के बदले वर्ष 2017 से 2018 तक कुल 58 लाख 62 हजार का भुगतान किया गया. इस पर क्रय समिति का अनुमोदन भी नहीं है. वर्ष 2017-2020 में किये गये खर्च के लिए एकरारनामा तीन वर्षों के बाद नौ अप्रैल, 2021 को किया गया है.
वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 में सुरक्षा संबंधी सेवा प्राप्त करने के लिए 19 लाख रुपये का भुगतान किया गया, परंतु सेवा लेने से संबंधित संचिका उपलब्ध नहीं कराई गई, जिससे गहरा शक होता है कि सेवा नियमानुकूल प्राप्त नहीं किया गया.
टेबुलेशन डायरेक्टर (संस्कृत विभाग) द्वारा लगभग 53 लाख रुपये अग्रिम प्राप्त किये गये थे. इसके विरुद्ध उनके द्वारा मात्र लगभग दस लाख 97 हजार का ही अभिश्रव दिया गया. इससे स्पष्ट नहीं हुआ कि सभी राशि का समायोजन हुआ है.
वित्तीय वर्ष 2021-22 एवं 2022-23 के अभिश्रवों के नमूना जांच से स्पष्ट हुआ कि विश्वविद्यालय के द्वारा 6.53 लाख की सामग्री की खरीद ऐसे दुकान-फर्म से की गई है, जो निबंधित नहीं हैं और उनके द्वारा संभवत सेवाकर जमा नहीं किया गया.
विश्वविद्यालय द्वारा तीन तरह के दैनिक वेतन भोगी कर्मियों को रखा गया है. इन्हें 19,900 एवं नियत वेतन 10,200 एवं श्रम विभाग द्वारा निर्धारित दर पर प्रतिदिन के आधार पर मानदेय दिया जाता है. इन कर्मियों की निुयक्ति किस आधार पर की गई है, के संबंध में मांगे जाने पर संचिका-अभिलेख उपलब्ध नहीं कराये गए हैं. साथ ही कितने दैनिक वेतन भोगी कर्मी कार्यरत हैं, इसका आंकड़ा भी नहीं दिया गया. इससे नियुक्ति की प्रक्रिया पर गहरा शक होता है.
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Harrison
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