Siwan: परसथुआ बाजार के समीप 50 एकड़ सरकारी भूमि बंदोबस्त करने का मामला सामने आया
सिवान: सरकार द्वारा भूमि सुधार विभाग में पारदर्शिता के भले ही दावे किये जा रहे हों, लेकिन सच्चाई यह है कि अधिकारियों की मिलीभगत से राष्ट्रीय उच्च पथ संख्या 319 में परसथुआ बाजार के समीप 50 एकड़ सरकारी भूमि बंदोबस्त करने का मामला प्रकाश में आया है. खुलासा राजस्व विभाग द्वारा जारी भू-अभिलेख बिहार की वेबसाइट से हुई है .
भूमि सुधार विभाग के नियमों की धज्जियां उड़ाते हुए भू-माफियाओं ने कोचस प्रखंड की परसथुआ एनएच व गोरेया नदी के किनारे स्थित 50 एकड़ सरकारी भूमि की बंदोबस्ती अपने नाम करा ली है. जिसकी कीमत की सौ करोड़ रुपए आंकी गई है. सरकारी भूमि की बंदोबस्ती लेने वाले एक व्यक्ति ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कोचस अंचल कार्यालय के कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी भूमि को बंदोबस्त करने का यह खेल वर्ष 1995 से 2015 तक जारी रहा. इस बीच कोचस प्रखंड के हल्का नंबर चार मौजा परसथुआं राजस्व थाना नंबर 51 अनावाद बिहार सरकार की भूमि के खाता नंबर 196 में एकड़ भूमि में कुल खेसरा 95 है, जिसे 60 व्यक्तियों ने नाम बंदोबस्त कर मालगुजारी रसीद निर्गत की गई है. हैरान करने वाली बात है कि भू-माफियाओं ने बंदोबस्त नहीं होने वाली भूमि जैसे अनावाद सर्वसाधारण जिसमें रास्ता, श्मशान, मंदिर, पोखरा, नदी व आहर है को भी अधिकारियों ने नहीं बख्शा,उसे भी बंदोबस्त कर मालगुजारी रसीद निर्गत कर दी.
जिसका खाता नंबर 197 है. जिसमें कुल भूमि एकड़ है. उक्त खाता में कुल 60 खेसरा हैं. सार्वजनिक भूमि को लोगों के नाम बंदोबस्ती की गई है. ग्रामीणों ने बताया कि भू माफियाओं ने बंदोबस्त कराई गई भूमि को काफी महंगे दामों में बिक्री कर दी है. बिक्री की गई उक्त सरकारी भूमि का अंचल कार्यालय कोचस द्वारा पुन दाखिल खारिज कर मालगुजारी रसीद निर्गत की गई है. बताया कि भूमि की खरीद-बिक्री में लगे भू-माफिया करोड़ों रुपए की उगाही कर चपत हो गए. कोचस सीओ विनीत व्यास ने बताया कि बिहार सरकार और अनावाद सर्वसाधारण की भूमि सीओ की अनुशंसा पर जिलाधिकारी द्वारा बंदोबस्त की गयी है. यह कार्य जिलाधिकारी के अधिकार क्षेत्र के अंतर्गत आता है.