बिहार
बहनों ने भाई की कलाई पर बांधी राखी, छात्र-छात्राओं ने किया वृक्षाबंधन
Shantanu Roy
12 Aug 2022 11:04 AM GMT
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बेगूसराय। भाई-बहन के असीम प्रेम और समर्पण का पर्व रक्षाबंधन शुक्रवार को पारंपरिक श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाया गया। रक्षाबंधन के लिए सुबह से ही स्नान ध्यान कर अपने भाइयों को राखी बांधी तथा आरती उतारकर मुंह मीठा करवाया। रक्षाबंधन को लेकर पूरा वातावरण अंगिका, मैथिली और भोजपुरी राखी को गीतों से गूंजता रहा। जो बहनें किसी कारणवश अपने भाई से मिलकर राखी नहीं बांध सकी, उसने डिजिटल तरीके से रक्षाबंधन मनाया। दूसरी ओर पूर्णिमा के अवसर पर एक ओर गंगा स्नान करने लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी। शिव भक्ति के पावन माह सावन का अंतिम दिन रहने के कारण शिवालयों में भी भारी भीड़ जुटी रही। सुबह से सिमरिया से गंगा स्नान कर बाबा हरिगिरी धाम गढ़पुरा आने का सिलसिला लगातार जारी रहा। बाबा हरिगिरी धाम में आज एक महीने से चल रहे राजकीय श्रावणी मेला का भी समापन हो गया। हरिगिरी धाम के अलावा जिला मुख्यालय के कर्पूरी स्थान और काली स्थान सहित जिला भर के विभिन्न शिवालयों में लोगों की भीड़ जुटी रही।
रक्षाबंधन के पावन अवसर पर बहनों ने जहां भाई को राखी बांधी, वहीं भारद्वाज गुरुकुल के बच्चों ने पेड़ पौधा को राखी बांधकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया। मौके पर विद्यालय के निदेशक शिव प्रकाश भारद्वाज एवं छात्र-छात्राओं ने कहा कि जैसा स्पर्श वैसा रिश्ता यही है वृक्षाबंधन और रक्षाबंधन। मां-पिता के स्पर्श को हम कभी विस्मृत नहीं कर पाते हैं, मित्रों के स्पर्श से आत्मीयता बढ़ती है। कुछ यूं ही रिश्ता हम सबों ने पेड़ पौधों को स्पर्श कर बनाया है। विद्यालय परिसर स्थित हजारों छोटे बड़े पेड़ पौधों में बांधा जाता है कच्चा धागा, लेकिन रिश्ता पक्का बन रहा होता है। हो सकता है बहुत सारे भाई की बहन नहीं हो, कलाई सूनी हो, ऐसे में पेड़ पौधों को भी वही लाड़, प्यार और स्नेह दें, जो भाई बहन एक दूसरे को देते हैं। प्रकृति की ऐसी की तैसी करने वाले वैज्ञानिक भी अब प्रकृति की रक्षा के लिए भारतीय तौर तरीकों को सराहने लगे हैं। पेड़ पौधों के बीच शुद्ध हवा के स्पर्श की अनुभूति दिव्य होती है।
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