बिहार

बिहार में सिंचाई और हरियाली की समस्‍या का समाधान साथ-साथ, मशहूर कैमूर का गोविंद भोग चावल अब हर पहाड़ी क्षेत्र में होगा

Renuka Sahu
20 Dec 2021 4:45 AM GMT
बिहार में सिंचाई और हरियाली की समस्‍या का समाधान साथ-साथ, मशहूर कैमूर का गोविंद भोग चावल अब हर पहाड़ी क्षेत्र में होगा
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फाइल फोटो 

पहाड़ से गिरने वाले पानी को जमा कर खेतों की सिंचाई होगी। इससे सिंचाई की समस्या तो कम होगी ही पहाड़ों पर भी हरियाली बढ़ेगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पहाड़ से गिरने वाले पानी को जमा कर खेतों की सिंचाई होगी। इससे सिंचाई की समस्या तो कम होगी ही पहाड़ों पर भी हरियाली बढ़ेगी। मिट्टी रिचार्ज होगी सो अलग। इसके लिए लघु जल संसाधन विभाग गारलैंड ट्रेंच (माला आकार की नाली) बनाएगा। इससे मशहूर कैमूर के मोकरी का गोविन्द भोग चावल अब हर पहाड़ी क्षेत्र में हो सकेगा।

लघु जल संसाधन विभाग ने राज्यभर में 100 गारलैंड ट्रेंच बनाने का लक्ष्य तय किया है। इस वर्ष 30 ऐसी योजनाओं का डीपीआर तैयार कर लिया गया है। इनमें गया जिले की छह योजनाओं पर जल्द काम शुरू होगा। इन योजनाओं की प्रशासनिक स्वीकृति मिल चुकी है। विभाग ने इन सभी एक सौ गारलैंड ट्रेंच बनाने के लिए गया, जमुई, नवादा, रोहतास, कैमूर और बांका जिलों का चयन किया है। ये सभी पहाड़ी क्षेत्र के जिले हैं। साथ ही पहाड़ी इलाकों में पानी की काफी बर्बादी होती है और सिंचाई की सुविधा भी किसानों को नहीं मिलती है। राज्य के हर पहाड़ों की तलहट्टी में जहां से समतल भूमि शुरू होती है, वहां सरकारी जमीन होती है। रैयती जमीन और पहाड़ों के बीच इसी जमीन पर वह संरचना बनेगी, जिसमें पानी संरक्षित किया जाएगा। ऐसी जमीन की पहचान कर ली गई है। अब पहाड़ों का पानी रोकने की व्यवस्था होगी। साथ ही उसी पानी से खेतों की सिंचाई होगी। पानी जमा होने से पहाड़ों पर हरियाली भी बढ़ेगी। गर्मी के दिन में पहाड़ के जो पौधे सूख जाते हैं। मिट्टी रिचार्ज होने से पूरा इलाका हराभरा रहेगा।
मोकरी इलाके के गोविंद भोग चावल की मांग ज्यादा
पहाड़ों से निकलने वाले पानी में केमिकल भी होता है। पहाड़ों पर जो पौधे उगते हैं उनमें जड़ी-बूटी भी होती है। उन्हीं पौधों से होकर पानी गुजरता है। यह पानी फसल और मानव स्वास्थ्य के लिए बेहतर होता है। कैमूर जिले के मोकरी इलाके के गोविन्द भोग चावल की मांग कुछ ऐसे ही कारणों से देशभर में है। मोकरी के एक नाले से पहाड़ का पानी आता है। उसी नाले के आसपास की जमीन में उपजे इस धान में अलग सुगंध होती है। गुणवत्ता भी बेहतर होती है। विभाग गारलैंड ट्रेंच बना देगा तो मोकरी का चावल हर पहाड़ी क्षेत्र में होगा।


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