न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला
अररिया के एडीजी रहे शशिकांत राय ने पॉक्सो एक्ट के एक मामले में महज एक दिन की सुनवाई के बाद आरोपी को उम्रकैद की सजा सुना दी थी। दूसरे मामले में चार दिन की सुनवाई के बाद फांसी की सजा दी थी। इसके बाद पटना हाईकोर्ट ने उन्हें निलंबित कर दिया था।
पॉक्सो एक्ट के तहत दुष्कर्म पीड़ित बच्चों को तुरंत न्याय दिलाने वाले जज के निलंबन पर सुप्रीम कोर्ट नाराज हो गया है। कोर्ट ने पटना हाईकोर्ट को फटकार भी लगाई है। इसके बाद जज का निलंबन वापस ले लिया गया है। सुप्रीम अदालत ने कहा है कि जब तक किसी जज के खिलाफ दुर्भावना या भ्रष्टाचार मामलों जैसा कारण न हो, तब तक उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होनी चाहिए।
क्या है मामला
दरअसल, अररिया के एडीजी रहे शशिकांत राय को इसी साल फरवरी में निलंबित कर दिया गया था। पॉक्सो स्पेशल कोर्ट में तैनाती के दौरान उन्होंने कई मामलों में स्पीडी ट्रायल किया था। यानी उन्होंने पॉक्सो एक्ट के एक मामले में महज एक दिन की सुनवाई के बाद आरोपी को उम्रकैद की सजा सुना दी थी। इसके अलावा दूसरे मामले में चार दिन की सुनवाई के बाद फांसी की सजा सुनाई थी। मामला संज्ञान में आते ही पटना हाईकोर्ट ने जज शशिकांत राय को निलंबित कर दिया था।
सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंचा मामला
यह मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। जस्टिस यूयू ललित और एस रविंद्र भट्ट की बेंच ने कहा, जब तक किसी अधिकारी के खिलाफ भ्रष्टाचार जैसा मामला स्पष्ट न हो, तब तक कार्रवाई से बचा जाना चाहिए। सुप्रीम अदालत ने पटना उच्च न्यायालय को फटकार लगाते हुए कहा, किसी अधिकारी के खिलाफ कुछ कहा जाता है, तो इसका असर संस्था पर पड़ता है। इस तरह की कार्रवाई से समाज में यह संदेश जाएगा कि न्याय देने वाले जज को ही दंडित किया जा रहा है। कोर्ट ने कहा, ज्यादा से ज्यादा यह कहा जा सकता है कि वह ज्यादा उत्साही अधिकारी हैं।
कई मामलों में किया स्पीडी ट्रायल
शशिकांत राय 2007 में न्यायिक सेवा से जुड़े थे। 2014 में वे सिविल जज और 2018 में जिला जज बनें। उन्हें पॉक्सो कोर्ट की जिम्मेदारी मिली, इसके बाद शशिकांत राय ने बच्चों के यौन शोषण से जुड़े कई मामलों में स्पीडी ट्रायल किया और कम से कम समय में आरोपियों को सजा दिलाई।