बेगूसराय न्यूज़: नगर निगम बनने के बाद बेगूसराय में शहरी आबादी का अनुपात तेजी से बढ़ा है. भौगोलिक दृष्टिकोण से नगर निगम 45 वार्डों में विभक्त है.
पुराने 20 वार्ड हैं. जबकि, 10 पंचायतों को मिलाने के बाद 25 नये वार्ड बनाये गये जहां जलनिकासी से लेकर बुनियादी सुविधाओं की निहायत जरूरी है. शहरवासियों को फिलहाल सबसे ज्यादा परेशानी जलजमाव की समस्याओं से होती है. खासकर शहरी क्षेत्र के 20 वार्ड के लोग नगर निगम को ससमय टैक्स देने के बाद भी सालों भर जलजमाव की समस्याओं से जूझते रहते हैं. उसके बाद टूटी सड़कें, जगह-जगह ढक्कन विहिन नाले लोगों को दर्द दे रहा है.
शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने से लेकर गंदा पानी को ट्रीटमेंट प्लांट तक पहुंचाने व सुरक्षा के लिहाज से हर प्रमुख चौरोहे पर सीसीटीवी कैमरे लगाने का प्लान नगर निगम का है.
शहरवासियों को अभी तक शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो रहा है लेकिन निगम के अधिकारियों की उदासीनता की वजह से आयरन रिमूवल पानी हर दिन हजारों लीटर सड़क पर बह रहा है. शहरवासी निजी स्तर पर पेयजल खरीदकर पीते हैं. दूसरी बड़ी समस्या गंदे पानी को बाहर निकालना. इसके लिए शहर में नाले की व्यवस्था है लेकिन समय पर उसकी उड़ाही नहीं होने से जलजमाव की समस्या बनी रहती है. नाले में अक्सर प्लास्टिक, बोतलें व अन्य कचरे भरे रहने के कारण गंदा पानी का बहाव ठीक ढंग से नाला होकर नहीं होता है. नतीजा होता है कि गंदा पानी सड़क पर बहने लगता है. नाला पर ढक्कन नहीं होने से नाला से पानी के सड़ने से बदबूदार दुर्गंध आने से संक्रामक बीमारियों को आमंत्रण देता रहता है.
232 करोड़ रुपये की लागत से चल रहा है सिवरेज का काम नगर आयुक्त मनोज कुमार ने बताया कि निगम के बेहतर विकास के लिए नगर विकास एवं आवास विभाग से हर साल करोड़ों रुपये दिये जाते हैं. उसके हिसाब से निगम की ओर से विकास योजनाओं पर राशि खर्च की जाती है.
निगम बोर्ड की बैठक में पार्षद ध्वनिमत से योजनाओं की स्वीकृति देते हैं. घरों व शहर के गंदे पानी को बाहर निकालने के लिए शहर में 232 करोड़ रुपये की लागत से सीवरेज का निर्माण कार्य चल रहा है. लगभग 90 प्रतिशत से अधिक काम हो चुका है. ट्रीटमेंट प्लांट का भी निर्माण कार्य चल रहा है जिसके इस साल दिसंबर तक पूरा होने की संभावना है.