जिले के 4 प्रखंडों के सात गांव बनेंगे 'स्मार्ट क्लाइमेट विलेज', विकास कार्यों में आएगी तेजी
नालंदा न्यूज़: नालंदा के चार प्रखंडों के छह गांवों को क्लाइमेट स्मार्ट विलेज के रूप में विकसित किया जायेगा. इस्लामपुर के महमूदा, एकंगसराय के औंगारी व अमनार खास, नूरसराय के जगदीशपुर-तियारी, सिलाव के नानंद, बड़ाकर व नीरपुर गांवों का चयन इसके लिए किया गया है.
मरनेगा से इन गांवों में होने वाले निर्माण कार्य यथा चेकडैम,आहर-पईन की उड़ाही, तालाबों का निर्माण इस प्रकार किया जायेगा कि कार्बन उत्सर्जन कम से कम हो. मनरेगा डीपीओ बिट्टू कुमार सिंह ने बताया कि निर्माण के क्रम में तकनीकी मदद इंफ्रास्ट्रक्चर क्लामेट रेजिलिएंस ग्रोथ नाम केन्द्र की कार्य एजेंसी से ली जाएगी. कार्बन उत्सर्जन कम होने से गांवों का वातावरण बेहतर होगा. वहां रहने वाले इंसान से लेकर पशु-पक्षी को भी इसका फायदा मिलेागा. जल संचय की योजनाओं को ग्रामीणों को आजीविका से जोड़ने के लिए मछली पालन, सब्जी उत्पादन करने के लिए प्रेरित किया जायेगा. ग्रामीण विकास की सोच है मनरेगा से काम गांव स्तर पर अधिकतम लोगों को जुड़ाव इससे तो होगा ही सालों पर पानी रहने पर वातावरण भी बेहतर होगा.
देश के सात राज्यों में पायलट प्राजेक्ट बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़, ओडिशा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश व राजस्थान में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर इसे शुरू किया गया है. पायलट प्रोजेक्ट में बिहार के नालंदा जिला भी चयनित है.
जलवायु के अनुकूल कार्यों को उतारा जायेगा धरातल पर
जलवायु आधारित चुनौतियों को दूर करने के लिए मनरेगा द्वारा एक बेहतर पहल की जा रही है. मनरेगा व इंफ्रास्ट्रक्चर क्लामेट रेजिलिएंस ग्रोथ के समन्वय से कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए वृहत रणनीति बनायी जाएगी. मनरेगा से जो भी काम होंगे, उन्हें जलवायु के अनुकूल कार्यों को धरातल पर उतारा जायेगा. नालंदा के नूरसराय, सिलाव, एकंगरसराय व इस्लामपुर के 162 गांवों में मनरेगा से होने वाला संरचना निर्माण इस प्रकार किया जायेगा कि कार्बन का कम उत्सर्जन हो.
नई तकनीक के आधार पर संरचना निर्माण की दिशा में पहल करने के लिए डीआरडीए में आरसीआरजी की टीम ने मनरेगा डीपीओ बिट्टू कुमार के साथ बैठक की. टीम के सदस्यों में विकास कुमार, डॉ. कृष्ण मुरारी, डॉ. अर्चना, सौरभ व गणेश प्रसाद शामिल थे.