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अररिया। फारबिसगंज के राम मनोहर लोहिया पथ स्थित बिहार एग्रो और सूरज केमिकल्स नामक दो फैक्ट्री से शुक्रवार की शाम गैस रिसाव के कारण पूरे शहर में फैले दुर्गंध मामले को लेकर जांच के लिए फारबिसगंज अनुमण्डल प्रशासन ने सात सदस्यीय जांच कमिटी के गठन किया गया है। जानकारी फारबिसगंज एसडीएम सुरेन्द्र कुमार अलबेला ने देते हुए बताया कि रिहायशी इलाके में एक ही परिसर में दो फैक्ट्री चल रही थी।जिसमे पिछले कुछ दिनों से बिहार एग्रो इंडस्ट्रीज में मिश्रित खाद निर्माण का कार्य बंद था।जबकि सूरज श्री केमिकल्स में केमिकल निर्माण का काम चल रहा था और अंदर में आग लगने के कारण गैस के रिसाव को लेकर दुर्गंध पूरे शहर में फैल गया था। संयंत्र चलने के बावजूद अग्निशमन यंत्र को अधिष्ठापित नहीं किया गया था और इस मामले को लेकर एसडीएम ने अग्निशमन विभाग के अधिकारी को भी कार्रवाई को लेकर आदेश दिया गया है। एसडीएम ने बताया कि शहर में दुर्गंध को लेकर ऐतिहातन प्रशासन ने अस्पताल रोड स्थित बिहार एग्रो और सूरज श्री केमिकल्स नामक दो फैक्ट्री सहित गोदाम को किया सील किया है। शुक्रवार की शाम शहर में फैली दुर्गंध से अफरा तफरी मच गई थी। एसडीओ सुरेन्द्र कुमार अलबेला के नेतृत्व में अधिकारियों की टीम फैक्ट्री में आकर पूरे मामले की जांच की। इसके बाद प्रशासन द्वारा दोनो फैक्ट्री को सील कर दिया गया है वही बड़े पैमाने पर नमूना संग्रह कर जांच के लिए लैब भेजने की बात कही गई। एक जांच कमिटी भी गठित की गई है। रिहायसी इलाके में फैक्ट्री संचालन को लेकर भी सवाल उठाया जा रहा है। दोनों ही फैक्ट्री के सीईओ अभिषेक दुग्गड़ की माने तो बिहार एग्रो विगत 18 जून से बंद है।
मामला सूरज श्री से संबंधित है जो शत प्रतिशत लिमिटेड कंपनी है जिसका शेयर भी है। यह जैविक उत्पाद करता है जिसमे चुना का इस्तेमाल होता है और उसी का गोला बनाने के दौरान पानी मिलाने से गंध हुआ जिससे कोई मानवीय हानि नहीं है। बताया कि 1975 से यह फैक्ट्री संचालित है। उस समय यह इलाका रिहायसी नहीं था। अभी भी यह काफी भीतर है जो सुनसान एरिया है। फिलहाल प्रशासन ने दोनों फैक्ट्री को सील करने,नमूना को जांच के लिए लैब भेजने और जांच कमिटी गठित करने की पुष्टि की है।इस संबंध में जिला कृषि पदाधिकारी का कहना है कि लाइसेंस और मैटेरियल की जांच हो रही है। गोदाम को सील कर नमूना लिया गया है। प्रोडक्ट के गुणवत्ता के लिए नमूना को लैब भेजा जा रहा है। प्रोब्लेटिम सॉयल में एसीडीटी कम हो जाता है जिसे ठीक करने के लिए चुना का इस्तेमाल होता है। ऐसे में ग्रेनुलर बनने से कुछ मेटेरियल गड़बड़ हो सकता है । मगर जब तक लैब रिपोर्ट नहीं आती तब तक कुछ भी नहीं कहा जा सकता है। एसडीओ सुरेन्द्र कुमार अलबेला ने बताया कि प्रथम दृष्टया दुर्गंध की पुष्टि हुई है। तकनीशियन की मदद ली जा रही है। सैम्पल्स को लैब में भेजा जा रहा है। अपर एसडीओ रंजीत कुमार की नेतृत्व में सात सदस्यीय टीम गठित की गई है। जांच रिपोर्ट के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी। जैनिक उत्पाद में चुना का गोला बनता है। अक्सर चुना सफेद रंग का होता है मगर एक सप्ताह पूर्व ट्रक में 10-15 बोरा हल्का पीला रंग का चूना आ गया था जो काफी महंगा भी होता है।उसी में पानी मिलाने से दुर्गंध जरूर फैला मगर इससे वैक्टीरिया क्लीन होता है,इससे कोई मानवीय हानि नहीं होता है। कहा उन्हें निष्पक्ष जांच पर भरोसा है।
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