बिहार

विश्व ग्लूकोमा दिवस सप्ताह के दौरान जागरूकता फैलाने के लिए सेमिनार का हुआ आयोजन

Admindelhi1
28 March 2024 5:35 AM GMT
विश्व ग्लूकोमा दिवस सप्ताह के दौरान जागरूकता फैलाने के लिए सेमिनार का हुआ आयोजन
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अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है काला मोतिया: डॉ. शाहनवाज

गया: डीएमसीएच के नेत्र रोग विभाग की ओर से विश्व ग्लूकोमा (काला मोतिया) दिवस सप्ताह के दौरान लोगों के बीच जागरूकता फैलाने के लिए सेमिनार का आयोजन किया गया. सेंट्रल ओपीडी के सेमिनार हॉल में काफी संख्या में मौजूद मरीजों को ग्लूकोमा के लक्षणों की जानकारी दी गई. इस मौके पर चिकित्सकों ने कहा कि समय पर ग्लूकोमा का इलाज कराने से आंखों की रोशनी को जाने से बचाया जा सकता है. लोगों को संबोधित करते हुए नेत्र विभाग के अध्यक्ष डॉ. आसिफ शाहनवाज ने कहा कि ग्लूकोमा दो प्रकार के होते हैं. एक प्रकार में आंख में दर्द और लालीपन की शिकायत हो जाती है. समय पर इलाज नहीं कराने से आंखों की रोशनी जा सकती है. उन्होंने कहा कि दूसरे प्रकार के ग्लूकोमा में आंख में कोई शिकायत नहीं होती है. हालांकि बीमारी होने पर धीरे-धीरे आंख में दबाव बढ़ने लगता है. फलस्वरूप आंख की नस सूखने लगती है. रोशनी एक बार चली जाए तो दोबारा नहीं लौटती है. डॉ. रणधीर कुमार ने कहा कि आंख में परेशानी होने पर कई लोग केमिस्ट से ड्रॉप खरीदकर डॉक्टरों की सलाह लिए बिना उसका इस्तेमाल करते हैं. ये खतरे से खाली नहीं है.

आंख में किसी तरह की परेशानी होने पर चिकित्सकों की सलाह लेनी चाहिए. उन्होंने कहा कि 40 वर्ष की उम्र के बाद साल में एक बार आंखों की जांच आवश्यक होती है. खासकर जिन लोगों के घर में कोई ग्लूकोमा से पीड़ित है, ऐसे लोगों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है. जिन लोगों के चश्मे के पावर में बराबर बदलाव आता है या वे मधुमेह से पीड़ित हैं, उन्हें हर सात महीने पर एक बार आंखों की जांच करानी चाहिए. ग्लूकोमा अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है. इससे पूर्व डीएमसीएच अधीक्षक डॉ. अलका झा और विभागाध्यक्ष डॉ. शाहनवाज के नेतृत्व में चिकित्सकों और पीजी छात्रों ने नेत्र विभाग से जागरूकता रैली निकाली. अधीक्षक कार्यालय परिसर, सर्जरी विभाग, इमरजेंसी चौराहा आदि से गुजरते हुए रैली सेंट्रल ओपीडी परिसर पहुंची. रैली के माध्यम से लोगों को जागरूक करते हुए चिकित्सक आगे बढ़ रहे थे. रैली में डॉ. शैलेंद्र कुमार, डॉ. निलेश गौतम, सहित दर्जनों चिकित्सक और छात्र शामिल थे.

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