बिहार

4 साल से नहीं गए स्कूल, ग्रामीणों में रोष

Admin4
21 July 2022 1:49 PM GMT
4 साल से नहीं गए स्कूल, ग्रामीणों में रोष
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पटना: सर्व शिक्षा अभियान (Sarva Shiksha Abhiyan) के तहत एक तरफ सरकार भले ही शिक्षा में सुधार (Education System In Bihar) के लाख दावे करती हो मगर जमीनी हकीकत को आइना दिखा रहा है मसौढ़ी प्रखंड का खानपुरा महादलित बस्ती. इस बस्ती में झुग्गी झोपड़ी में प्राथमिक विद्यालय (Jhuggi Jhopri Primary School) चलते थे लेकिन अब बच्चों को वो भी नसीब नहीं हो रहा है. पिछले 4 वर्षों से सैकड़ों बच्चे शिक्षा से महरूम है. सभी बच्चों का भविष्य अंधकार में है.

मध्य विद्यालय चैनपुर से स्कूल को किया गया टैग: दरअसल खानपुरा महादलित बस्ती में झुग्गी झोपड़ी प्राथमिक विद्यालय के नाम से स्कूल चलता था, लेकिन 2017 में इस स्कूल को इस गांव से 3 किलोमीटर की दूरी पर मध्य विद्यालय चैनपुर (Chainpur Middle School) में टैग कर दिया गया. दूरी होने के कारण बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो रहा था इसलिए मासूमों ने स्कूल से ही दूरी बना ली.ग्रामीणों में गुस्सा: ग्रामीण, स्थानीय प्रशासन से लेकर सरकार से गांव में ही विद्यालय का पठन-पाठन करवाने की मांग करते करते थक गए हैं. ऐसे में बच्चों के अभिभावकों के साथ ही ग्रामीण आंदोलन की तैयारी कर रहे हैं. गांव के वार्ड सदस्य ने बताया कि पिछले कई सालों से इसी गांव में झुग्गी झोपड़ी प्राथमिक विद्यालय के नाम से स्कूल चलता था. बच्चे पढ़ रहे थे लेकिन अब बच्चों को शिक्षा नहीं मिल पा रही है."स्कूल का अपना भवन है. राज्यपाल के नाम से जमीन की रजिस्ट्री हुई है. बस छत की ढलाई नहीं हुई थी जिस वजह से स्थानीय प्रशासन ने इस स्कूल को चैनपुर मध्य विद्यालय में टैग कर दिया गया. यहां से 3 किलोमीटर है दूरी पर स्कूल है. जिसके कारण छोटे-छोटे नौनिहाल दूरी तय कर पढ़ने नहीं जा रहे हैं. इसकी वजह से 4 सालों से गांव के सभी बच्चे शिक्षा से महरूम है. लगातार प्रशासनिक पदाधिकारियों से आवेदन दे दे कर थक गए हैं."- विनय दूबे वार्ड सदस्य, खनपुरा, मसौढ़ी

खानपुरा महादलित बस्ती के बच्चे शिक्षा से महरूम: सरकार की ओर से गांव गांव में शिक्षा से महरूम बच्चों को स्कूल से नाम जोड़ने के लिए अभियान चलाया जा रहा है लेकिन मसौढ़ी प्रखंड के खानपुरा महादलित बस्ती में सैकड़ों बच्चे शिक्षा से महरूम है. इस पूरे मामले में मसौढ़ी प्रखंड के शिक्षा पदाधिकारी से बात की गई तो उन्होंने कहा कि फिलहाल उस स्कूल के बारे में कुछ ज्यादा जानकारी नहीं है."कुछ ही महीने पहले हमने मसौढ़ी में ज्वाइन किया है. उसका फाइल मंगवा कर हम पूरी जांच करते हैं. हालांकि सरकार द्वारा चिट्ठी आई थी कि जहां स्कूल जर्जर है उसे किसी दूसरे विद्यालय में टैग किया जाना है लेकिन अगर उस विद्यालय का अपना भवन और अपनी जमीन है तो पठन पाठन के लिए हम मुख्यालय को पत्र भेजेंगे."- नवल किशोर सिंह, प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, मसौढ़ी

"3 किलोमीटर दूर बच्चे कैसे पढ़ने जाएंगे? गांव में ही स्कूल रहने से सहूलियत थी. अब बच्चे शिक्षा से वंचित हो गए हैं.

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