बिहार
सतीश राय को मिला दिनकर राष्ट्रीय सम्मान, जनपदीय सम्मान से विभूषित हुई मुकुल लाल इल्तिजा
Shantanu Roy
24 Sep 2022 6:18 PM GMT

x
बड़ी खबर
बेगूसराय। दिनकर जयंती समारोह समिति द्वारा इस वर्ष के दिनकर राष्ट्रीय सम्मान से डॉ. सतीश कुमार राय एवं दिनकर जनपदीय सम्मान से कवियत्री मुकुल लाल इल्तिजा को सम्मानित किया गया है। समाहरणालय के कारगिल विजय भवन में डीएम रोशन कुशवाहा ने साहित्यकारों से सजी महफिल में दोनों को सम्मानित किया। दिनकर राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित बेतिया निवासी डॉ. सतीश कुमार राय बी.आर. अंबेडकर बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर में हिंदी के विभागाध्यक्ष हैं। उन्होंने पश्चिम चंपारण की हिंदी पत्रकारिता पर कई पुस्तक लिखा है। उन्होंने दिनकर समीक्षा ग्रंथ चिंतन अनुचिंता, दिनकर विमर्श, दिनकर की साहित्य साधना आलोचना के सूत्र एवं अध्ययन और अनुसंधान जैसे समीक्षा ग्रंथ लिखा है। उनकी कविता संग्रह मैं हूं पथिक अकेला, ताज हिमालय के सिर पर है। इसके अलावा हिंदी के विभिन्न विधाओं में अपनी लेखनी चलाई है।जबकि, दिनकर जनपदीय सम्मान से सम्मानित बेगूसराय जिला के तेघड़ा प्रखंड स्थित बनहरा गांव निवासी कवियत्री मुकुल लाल इल्तिजा को उनके 30 वर्ष के मंचीय साहित्य साधना एवं दोहा गजल मुकरी सहित अन्य विधाओं में अनवरत लिखे जाने को लेकर सम्मानित किया गया है।
इस अवसर पर दोनों साहित्यसेवी को प्रशस्ति पत्र, प्रतीक चिन्ह एवं नगद पुरस्कार दिया गया है। सम्मान समारोह को संबोधित करते हुए डीएम रोशन कुशवाहा ने कहा कि हिन्दी को सरल एवं रुचिकर बनाने की जरूरत है। जिससे कि नई पीढ़ी को हिंदी भाषा अपनी ओर आकर्षित कर सके, इसके साथ ही इसे रोजगार, आवश्यकता एवं व्यावहारिक जिंदगी में उपयोगी बनाने की जरूरत है। पढ़ाई के दौरान उन्होंने केमिस्ट्री, फिजिक्स सहित अन्य विषयों को पढ़ा। लेकिन हिंदी को पढ़ने का समय नहीं मिला और ना ही आवश्यकता महसूस हुआ। प्रसिद्ध समालोचक डॉ. चंद्रभानु प्रसाद सिंह ने कहा कि देश का अकेला और अनूठा जनपद बेगूसराय है, जिसने चौराहे पर किसी राजनेता की तस्वीरें नहीं लगा कर राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की आदमकद प्रतिमा स्थापित करने का काम किया है। दिनकर ने धरती पर स्वर्ग ढूंढने का काम नहीं किया है, बल्कि स्वर्ग को धरती पर उतारने के हिमायती हैं। हम सिर्फ दिनकर जयंती के अवसर पर समारोह आयोजित कर खानापूर्ति नहीं करते, बल्कि पूरा बेगूसराय दिनकरमय रहता है। समारोह की अध्यक्षता प्रो. सीताराम प्रभंजन, संचालन डॉ. रामरेखा एवं स्वागत प्रो. नरेश पंडित रमण ने किया।
Next Story