मोतिहारी: पारा मेडिकल स्टूडेंट पर सदर अस्पताल का कोई नियंत्रण नहीं है. हॉस्टल नियम के अनुसार शाम 6 बजे के बाद बगैर वार्डेन के अनुमति के हॉस्टल से बाहर नहीं जा सकते है. इस पर निगरानी के लिए गार्ड रखा गया है. हालत यह है कि हॉस्टल के स्टूडेंट देर शाम तक हॉस्टल लौटते हैं. ड्यूटी पर तैनात गार्ड के द्वारा इस बात की सूचना न तो वार्डन को दिया जाता है और न डीएस को. बताते है करीब सौ स्टूडेंट पारा मेडिकल कॉलेज में हैं. कई बार आपस में मारपीट करते हैं तो कभी बाहर वाले से भी मारपीट की घटना हुई है. इसको लेकर केस भी दर्ज हुआ है.
बताया जाता है कि पहले सुरक्षा से लेकर साफ सफाई का जिम्मा सदर अस्पताल के जिम्मे था.
मगर अब यह काम बीएमसीईएल को दे दिया गया है. न तो साफ सफाई ठीक से हो रही है और न गार्ड अपना डयूटी कर रहे हैं .जिसकी शिकायत भी प्रबन्धक के पास आई है. यह सूचना सिविल सर्जन को भी दी गयी है. इसके बावजूद कोई करवाई नहीं की गयी. साफ सफाई की हालत भी बदतर है. बताते हैं कि शौचालय से बदबू आती है तो कभी जहरीला कीड़ा भी देखे जाते है. जिसकी सूचना भी दी गयी है मगर कार्रवाई शून्य है. वार्डेन बताती हैं कि हॉस्टल के सामने खाली पड़े जगहों पर दर्जनों खराब पड़े एम्बुलेन्स खड़ा कर दिया गया है. यह इतना जंगल हो गया है कि कीड़ा मकोड़ा का खतरा बन गया है. मगर यहां साफ सफाई तक नहीं होती है. छात्रों ने हॉस्टल में बने भोजन पर भी आपत्ति उठाया है. उनका कहना है कि मेनू के अनुसार भोजन नहीं मिलता है. 27 सौ रुपया लगता है. इसलिए स्टूडेंट का रुझान जीविका दीदी के मेस की ओर बढ़ गया है.
कहते हैं सिविल सर्जन
सिविल सर्जन डॉ. अंजनी कुमार ने बताया कि सभी समस्याओं पर ध्यान दिया जा रहा है. गार्ड पर कार्रवाई होगी. नियम का पालन नहीं करने वाले स्टूडेंट की सूची मांगी जा रही है.