मुंगेर न्यूज़: मुंगेर जिले में ग्रामीण अदालत का संचालन जैसे-तैसे किया जा रहा है. सबसे अहम बात तो यह है कि 15 महीने बीत जाने के बाद भी ग्राम कचहरी के सरपंच, उपसरपंच, न्याय मित्र व कचहरी सचिवों को अब तक बेहतर कार्य के लिए प्रशिक्षण नहीं दिया गया है.
यह सोचने की बात है कि बिना ज्ञान प्राप्त किए आखिर ग्राम कचहरी के प्रतिनिधि व कर्मचारी कैसे लोगों को न्याय दे पाएंगे, यह तो अपने आप में सवाल है. ज्ञान की कमी के कारण ही लोग जाते हैं सक्षम न्यायालय ग्राम कचहरी के पंचों व सरपंचों व कर्मियों को न्यायिक ज्ञान की कमी रहने के कारण लोग सक्षम न्यायालय चले जाते हैं, जिसके कारण लोगों की जेब ढीली पड़ जाती है और समय पर उन्हें न्याय भी नहीं मिलता है.
यहां तक कि उन्हें बार-बार न्यायालय का चक्कर लगाना पड़ता है. सरकार की सोच थी कि स्थानीय स्तर पर ही छोटी-छोटी मुकदमों का हल हो सके, इसी सोच के पूर्ति के लिए सरकार ने ग्राम कचहरी की स्थापना की थी, लेकिन जिले में सरकार के सोच की पूर्ति नहीं हो रही है .
40 से भी अधिक मामले निपटाने का ग्राम कचहरी को है अधिकार सरकार की ओर से ग्राम कचहरी को 40 से भी अधिक मामले निपटाने का अधिकार दिया गया है. जिसमें मारपीट सहित 10 हजार तक के जमीनी मामले का भी निष्पादन करने का अधिकार ग्राम कचरी को प्राप्त है. इसके अलावा भी कई महत्वपूर्ण मामले का निष्पादन करने का भी उन्हें अधिकार मिला है.
जिले में 96 ग्राम कचहरी में 1283 पंच का पद है सृजित मुंगेर जिले में 96 ग्राम कचहरी है, जिसमें 96 सरपंच, 96 उप सरपंच तथा 1283 पंच का पद सृजित है. जिसमें 59 पंच के पद रिक्त पड़े हैं. सरपंच, उप सरपंच तथा निर्वाचित पंचों का कहना है की न्याय को लेकर प्रशिक्षण नहीं मिलने से काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. अगर प्रशिक्षण मिल गया होता तो न्यायिक कार्य करने में सहूलियत होता. नौवागढ़ी दक्षिणी पंचायत के सरपंच उर्मिला देवी ने बताया कि अब तक प्रशिक्षण नहीं मिलने से पंचों में निराशा है. सरपंचों ने बताया कि बिना सुविधा के हमलोग कहां से कैसे न्याय दिला पायेंगे.