बिहार

Rohtas: नए आपराधिक कानून में तकनीक पर जोर दिया गया

Admindelhi1
20 July 2024 8:02 AM GMT
Rohtas: नए आपराधिक कानून में तकनीक पर जोर दिया गया
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हस्ताक्षर के बाद ही डिजिटल शिकायतों पर होगी प्राथमिकी

रोहतास: नए आपराधिक कानून में तकनीक पर जोर दिया गया है. घटना होने पर लोगों को अब थानों का चक्कर नहीं लगाना पड़ेगा. पीड़ित कहीं से भी ईमेल और व्हाट्सएप जैसे डिजिटल माध्यम से भी शिकायत पुलिस को भेज सकते हैं.

हालांकि डिजिटल माध्यम से भेजी गई शिकायतों पर तब तक कार्रवाई शुरू नहीं होगी जबतक कि पीड़ित थाना पहुंचकर आवेदन पर हस्ताक्षर नहीं करेगा. हस्ताक्षर के बाद ही एफआईआर दर्ज की जाएगी. पीड़ित को दिनों में थाने पहुंचकर आवेदन पर हस्ताक्षर करने होंगे. डीआईजी सह एसएसपी राजीव मिश्रा ने कहा कि अब ईमेल अथवा व्हाट्सएप से भेजी शिकायत पर भी केस दर्ज किया जाएगा. घटना होने पर लोग संबंधित थानेदार सहित वरीय अधिकारी के आफिशियल ई-मेल व व्हाट्सएप पर शिकायत भेज सकते हैं. डिजिटल माध्यम से भेजी गई शिकायतों पर हस्ताक्षर के बाद ही एफआईआर दर्ज की जाएगी. पीड़ित की पहचान और सही मामले की पुष्टि के लिए ऐसा प्रावधान किया गया है. पहले भी गंभीर मामले में पुलिस जीरो एफआईआर करती थी. लेकिन लोगों की सुविधा और हित को देखते हुए नए कानून में संशोधन किया गया है. अब किसी भी तरह की घटना होने पर कोई भी व्यक्ति अपने पास के थाने में जाकर इसकी शिकायत कर सकता है. पुलिस सीमा विवाद में ना पड़कर तुरंत जीरो एफआईआर दर्ज करेगी. बाद में उसे उस थाने में भेज दिया जाएगा जिस थाना क्षेत्र में घटना हुई है.

राजद के पूर्व विधान पार्षद को राहत नहीं: पटना हाईकोर्ट ने राजद के पूर्व विधान पार्षद प्रोफेसर (डॉ) राम बली सिंह को अयोग्य ठहराये जाने के सभापति के आदेश पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए अर्जी खारिज कर दी. कोर्ट ने सभापति के गत 6 फरवरी के आदेश में किसी प्रकार की त्रुटि नहीं पायी.

कोर्ट ने कहा कि प्रत्येक नागरिक को बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मौलिक अधिकार हैं. लेकिन, जब वह किसी राजनीतिक दल से विप के सदस्य होते हैं तो अपने दल के अनुशासन, संविधान और नियमों का पालन करना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि इस केस में ऐसा लगता है कि आवेदक ने स्वेच्छा से अपने राजनीतिक दल का त्याग कर दिया है. इसलिए नियमों के तहत वह अयोग्यता के लिए उत्तरदायी हैं. मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति के विनोद चन्द्रन और न्यायमूर्ति पार्थ सारथी की खंडपीठ ने प्प्रोफेसर (डॉ) राम बली सिंह की ओर से दायर अर्जी पर सुनवाई के बाद अपने 17 पन्ने का आदेश दिया.

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