बिहार

जिले में नदी-आहर प्यासे, कम हुई बारिश तो गहराया जलसंकट

Admin Delhi 1
18 May 2023 2:05 PM GMT
जिले में नदी-आहर प्यासे, कम हुई बारिश तो गहराया जलसंकट
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नालंदा न्यूज़: जिले की नदी, आहर व पइनें तीन साल से पूर्णरूपेण प्यासी हैं. इस साल भी अगर नदी में पानी नहीं आया तो हजारों हेक्टेयर भूमि में फसल उगाना मुश्किल ही नहीं, नामूमकीन हो जाएगा. खेत बंजर होने की भी आशंका बनी रहेगी. अन्य क्षेत्रों के खेतों की फसलों की पटवन प्रभावित हो जायेगी. नदी में तीन साल से पानी नहीं आने से सिंचाई विभाग, बाढ़-नियंत्रण सह निस्सरण विभाग से लेकर जिला प्रशासन भी चितिंत है.

लोगों की मानें तो वर्ष 2018 में जिले की कुछ नदियों में बाढ़ का पानी आया था. हालांकि, उस साल भी कुछ ही दिन नदी में पानी ठहरा था. इससे पहले वर्ष 2014 में जिले की नदियों में पानी आया तो तबाही मचायी थी. इसके बाद जिले में पर्याप्त बारिश नहीं हुई और न ही दूसरे राज्यों से जुड़ी नदियों से बहकर पानी आया है. नदी में पानी नहीं आने और पानी नहीं ठहरने से जिले के हर क्षेत्र का जलस्तर घटता जा रहा है. शहरी क्षेत्र में तो 250 फीट से नीचे जलस्तर चला गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में ओवरऑल 120 फीट से नीचे जलस्तर चला गया है. किसानों व तकनीकी लोगों की मानें तो पानी के अभाव में खेत बंजर हो जायेगा.

झारखंड से पानी छोड़ने पर ही नदी में पानी नालंदा के विभिन्न क्षेत्रों में 41 नदियां बहती हैं. इन सभी नदियों का उद्गम स्थल झारखंड से जुड़ा है. बिहार से गुजरने वाली गंगा नदी से जुड़ी हुई नदी नहीं है. यही कारण है कि बरसात के दिनों में झारखंड से पानी छोड़ने पर ही नालंदा की नदियों में पानी पहुंचता है.

नालंदा की प्रमुख नदियां नालंदा में पंचाने, मुहाने, फल्गू, पैमार, सकरी बड़ी नदी है. छोटी नदियों में अहियारी, कुंभरी, धनायन, नोनिया, डोर, ककड़िया, भूतही, लोकाईन, डोर, नोनाईन, चिरैया, नरहना, सुंड, लोकाईन, पैमार, सांसी, हुड़ही, धोवा, जिराईन, गोइठवा आदि.

नालंदा में नहरों का पक्कीकरण नहीं

सर्वे के अनुसार जिले में दो हजार से अधिक आहर-पइन व नहर हैं. इस्लामपुर के कुछ क्षेत्र को छोड़कर जिले के किसी भी भाग में नहरों का पक्कीकरण नहीं है. लोगों का तो कहना है नालंदा में तो नहर का अस्तित्व ही समाप्त हो गयी है. अधिकतर नहर, पइन, आहर को अतिक्रमण कर खेत-मकान बनाया गया है. अच्छी बारिश होने के खेत जलमग्न हो जाते हैं. जैसे बारिश थमती है चार दिनों में पानी निगर जाता है.

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