बिहार

ऋचा को 3 साल संघर्ष के बाद स्टार्टअप के लिए मिला था पहला फंड

Admin Delhi 1
16 Aug 2023 4:16 AM GMT
ऋचा को 3 साल संघर्ष के बाद स्टार्टअप के लिए मिला था पहला फंड
x
पहले छोटे स्तर पर शुरू की मार्केटिंग

पटना: संघर्ष से रुकावट नहीं बल्कि आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलती है. मैं लक्ष्य को लेकर बहुत जूनूनी हूं. एक बार संकल्प कर ली, फिर पीछे नहीं हटती. यह कहना है राज्य की पहली महिला स्टार्टअप ऋचा वात्सायन का.

ऋचा ने बिहार का पहला बायोडिग्रेडेबल सेनेटरी पैड केले के रेशे से तैयार किया है. यह राज्य की पहली महिला स्टार्टअप हैं, जिनका इन्क्यूबेशन आईआईटी खड़गपुर से हुआ है. यह पैड महिलाओं के स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए उपयोगी होगा. उपयोग के छह महीने में यह स्वत नष्ट हो जाता है. इनके उत्पाद को भारत मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने भी गुणवत्ता प्रमाणपत्र दिया है. ऋचा बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए चीन से मशीन लाने जा रही हैं.

मिल रही है पहचान ऋचा वात्सायन अब पहचान की मोहताज नहीं हैं. इन्होंने वर्ष 2020 में दुबई में आयोजित वर्ल्ड एक्सपो में भारत सरकार की ओर से स्टार्टअप का प्रतिनिधित्व किया. इन्होंने बक्सर में जीविका दीदियों द्वारा बनाई जा रही ‘मायरा सेनेटरी पैड’ के लिए कन्सलटेंसी दिया है.

पहले छोटे स्तर पर शुरू की मार्केटिंग

ऋचा का लक्ष्य बिहार का पहला यूनिकॉर्न (100 करोड़ रुपये कारोबार) बनने का है. लेकिन उड़ान के इस मुकाम पर पहुंचने के पहले उन्होंने कड़ा संघर्ष किया है. 2018 में स्टार्टअप का आइडिया लेकर फंड के लिए केंद्र सरकार से लेकर राज्य सरकार तक आवेदन देती रहीं लेकिन सफलता नहीं मिली. इस बीच बैंक ऑफ इंडिया से 2018 में स्टार्टअप इंडिया के तहत कर्ज प्राप्त कर स्टार्टअप का प्रोटोटाइप 2020 में विकसित हुआ. छोटे स्तर पर उत्पादन और मार्केटिंग भी शुरू किया. इस बीच कई बार कई जगहों से उनके प्रोजेक्ट को अपेक्षित सहयोग नहीं मिला. इन थपेड़ों के बीच पहली सफलता वर्ष 2021 में केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय से मिली और 20 लाख रुपये का फंड मिला. इसी वर्ष साढ़े दस लाख रुपये का फंड राज्य सरकार से भी उन्हें प्राप्त हुआ. इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा.

Next Story