मुजफ्फरपुर न्यूज़: धान खरीद की सुस्त रफ्तार से बिहार के किसान परेशान हैं. गोदाम भरे होने से पैक्स धान लेने में आनाकानी कर रहे हैं तो मिलिंग क्षमता कम होने से मिलें चावल तैयार नहीं कर पा रही हैं. इसका असर भी धान खरीद पर पड़ रहा है.
राज्य में चावल तैयार करने का काम देखें तो धान खरीद का सिर्फ 29 चावल ही तैयार कर राज्य खाद्य निगम को भेजा गया है. नियमत 68 चावल तैयार किया जाना चाहिए. उसना चावल ज्यादा तैयार होना है, जबकि इनके मिलों की संख्या सिर्फ 156 है. इनकी मिलिंग क्षमता भी कम है. कई जिलें ऐसे हैं, जहां एक मिल से 25 से 30 पैक्स संबद्ध हैं. ऐसे में एक पैक्स का नंबर ही तीस दिनों के बाद आ रहा है. यही कारण है कि किसानों से खरीदा गया धान पैक्स गोदाम में पड़ा है. गोदाम भरे होने से आगे की खरीद में असमर्थता जता रहे हैं. राइस मिलर्स एसोसिएशन का कहना है कि उसना मिलों की क्षमता कम होने के चलते कम चावल तैयार हो पाया है.
30 टन चावल तैयार करने का है लक्ष्य
मिलिंग क्षमता कम होने से अपेक्षाकृत चावल तैयार नहीं हो पा रहा है. राज्य में उसना मिलों की संख्या बहुत कम है. इसीलिए उसना चावल तैयार करने में देरी हो रही है. सरकार को चाहिए कि अरवा चावल मिलों को भी मिलिंग की अनुमति दे.
- आनंद कुमार सिंह, सचिव, बिहार राज्य राइस मिलर्स एसोसिएशन.
कई पैक्सों के खाते खाली
चावल तैयार नहीं होने से राज्य खाद्य निगम पैक्स को अग्रिम किस्त नहीं दे रहा है. चक्रीय प्रणाली से खरीद का नियम यह है कि चावल प्राप्त होने के बाद राज्य खाद्य निगम पैक्स को अग्रिम भुगतान करता है. इसके बाद पैक्स किसान से धान खरीदते हैं. चावल प्राप्त हुए बिना निगम अगली किस्त नहीं दे रहा है, इसे कई पैक्सों के खाते में राशि नहीं है.
● गोदाम भरे हैँ इस कारण धान खरीदने में असमर्थता जता रहे हैं पैक्स
अन्य जिलों की स्थिति
जिले चावल फीसदी
दरभंगा 12,103 52.56
बेगूसराय 3,602 50.26
बांका 4,417 35.41
अरवल 17,867 37.23
गया 31,795 38.54
जहानाबाद 13,942 40.62
खगड़िया 9,391 41.19
(चावल की मात्रा हजार मीट्रिक टन में)
राज्य में धान खरीद का लक्ष्य 45 लाख मीट्रिक टन है. इससे करीब 30 लाख मीट्रिक टन चावल तैयार किया जाना है. हालांकि राज्य की मिलें अभी 6 लाख 41 हजार मीट्रिक टन चावल ही तैयार कर पाई हैं. आंकड़ों को देखें तो धान खरीद की धीमी रफ्तार के बावजूद तक धान खरीद 32 लाख 16 हजार मीट्रिक टन हुआ था. इससे करीब 22 लाख मीट्रिक टन चावल तैयार हो जाना चाहिए था. यानी खरीदे गए धान का 15 लाख 45 हजार मीट्रिक टन चावल तैयार नहीं हो पाया है.