मुजफ्फरपुर न्यूज़: रीक्षा केंद्र से उत्तर पुस्तिका लेकर भागने के आरोप में इंटर के एक छात्र के रिजल्ट पर रोक लगाने और उसे अगले दो साल तक के लिए परीक्षा देने से वंचित करने के मामले में पटना हाईकोर्ट ने बोर्ड के आदेश को अवैध करार देते हुए उसे निरस्त कर दिया. साथ ही बोर्ड के अध्यक्ष को दो माह के भीतर उत्तर पुस्तिका गायब होने के मामले में इन हाउस जांच करने का आदेश दिया है.
न्यायमूर्ति राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने रमन कुमार की ओर से दायर रिट याचिका पर सुनवाई के बाद यह फैसला दिया. कोर्ट ने बोर्ड के अध्यक्ष को इनहाउस जांच में पीड़ित छात्र को भी शामिल करने एवं उसका पक्ष सुन निर्णय लेने का आदेश दिया. कोर्ट ने कहा कि किसी भी परिस्थिति में छात्र के खिलाफ ऐसा कोई निर्णय नहीं लें, जिससे उसके कॅरियर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़े. कोर्ट ने कहा कि जांच में किसी कर्मी की गलती पाई गई तो पीड़ित छात्र को मुआवजा देने के बारे में बाद में निर्णय लिया जायेगा.
आवेदक रमन, खगड़िया के गोगरी जमालपुर स्थित भगवान इंटर कॉलेज का छात्र था. उसने 2020 के फरवरी में इंटर की फाइनल परीक्षा दी. परीक्षा में वह प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुआ, लेकिन बोर्ड ने अगले आदेश तक के लिए उसके रिजल्ट प्रकाशन पर रोक लगा दी. जब आवेदक रिजल्ट प्रकाशन पर रोक लगाने का कारण जानना चाहा तो उसे बताया गया कि 14 फरवरी 2020 को इंटर परीक्षा में उत्तर पुस्तिका लेकर परीक्षा केंद्र से भाग जाने के कारण उसके रिजल्ट पर ही न सिर्फ रोक लगाई बल्कि उसके खिलाफ बोर्ड ने अगले दो वर्ष तक के लिए इंटर परीक्षा देने पर रोक लगा दी है. कोर्ट ने सुनवाई के दौरान पाया कि दो साल तक परीक्षा से वंचित करने का बोर्ड का आदेश एकतरफा है. आवेदक का पक्ष जाने बिना उसे परीक्षा नहीं देने से वंचित किया गया है. कोर्ट ने बोर्ड के आदेश को नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत के खिलाफ करार देते हुए निरस्त कर दिया. कोर्ट ने बोर्ड को छात्र को अगले इंटर परीक्षा में मौका देने का आदेश दिया.