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बिहार में सभी मंदिरों और मठों का 15 जुलाई तक पंजीयन कराएं

Ritisha Jaiswal
2 July 2022 9:02 AM GMT
बिहार में सभी मंदिरों और मठों का 15 जुलाई तक पंजीयन कराएं
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बिहार में सभी मंदिरों व मठों का पंजीयन अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य सरकार ने सभी 38 जिलों के प्रशासन को आदेश दिया है

बिहार में सभी मंदिरों व मठों का पंजीयन अनिवार्य कर दिया गया है। राज्य सरकार ने सभी 38 जिलों के प्रशासन को आदेश दिया है कि वे 15 जुलाई तक यह काम पूरा कर लें

बिहार के कानून मंत्री प्रमोद कुमार ने शनिवार को पीटीआई को बताया कि यदि मंदिरों व मठों ने पंजीयन नहीं कराया तो अन्य प्रशासनिक विकल्पों के जरिए उन्हें पंजीयन के लिए मजबूर किया जाएगा। इन धर्म स्थलों को बिहार राज्य धार्मिक ट्रस्ट परिषद (BSRTC) में पंजीकरण कराना होगा।
BSRTC की वेबसाइट पर देना होगी संपत्तियों की जानकारी
कुमार ने कहा कि जिला प्रशासन को सभी मंदिरों, मठों व ट्रस्टों की सारी संपत्तियों की जानकारी BSRTC की वेबसाइट पर 15 दिन में अपलोड करनी होगी। इस संबंध में विधि विभाग ने शुक्रवार को सभी जिला कलेक्टरों को सूचना दे दी है। बकौल प्रमोद कुमार बिहार देश का पहला राज्य है जहां राज्य सरकार ने इस तरह की पहल की है
बीएसआरटीसी की वेबसाइट का उद्घाटन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार 15 जुलाई के बाद करेंगे। कुमार ने कहा कि बिहार के सभी सार्वजनिक मंदिरों, मठों, ट्रस्टों और धर्मशालाओं को बिहार हिंदू धार्मिक ट्रस्ट अधिनियम, 1950 के अनुसार बीएसआरटीसी के साथ पंजीकरण कराना होगा।
इसलिए लिया यह निर्णय
मंत्री ने कहा कि मंदिर की संपत्तियों को अनधिकृत दावों से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया क्योंकि पुजारियों द्वारा संपत्ति बेचने और खरीदने में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं पाई गईं। ताजा आंकड़ों के अनुसार राज्य के 35 जिलों में 2,512 अपंजीकृत मंदिर और मठ हैं। उनके पास 4,321.64 एकड़ जमीन है। सरकार जल्द ही 2,499 पंजीकृत मंदिरों और मठों की तारबंदी की प्रक्रिया शुरू करेगी। उनकी कुल 18,456.95 एकड़ जमीन है। इसे अतिक्रमण से बचाने के लिए यह पहल की जा रही है। सबसे ज्यादा अपंजीकृत मंदिर और मठ राज्य के वैशाली जिले में 438 है। वहीं, औरंगाबाद बिहार का एकमात्र ऐसा जिला है जहां कोई अपंजीकृत मंदिर नहीं है।


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