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पटना (आईएएनएस)| पूर्व सांसद और बाहुबली नेता आनंद मोहन की रिहाई को लेकर राजनीति थमती नजर नहीं आ रही है। आनंद मोहन सहित 27 कैदियों की रिहाई को लेकर प्रश्न उठाए जाने पर बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शुक्रवार को सफाई देते हुए कहा कि कैदियों की रिहाई कोई नई बात नहीं है। उन्होंने यह भी कहा पहले अन्य राज्यों के कानून से यहां अंतर था।
पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि इतने लोगों को जेल से छुट्टी मिलती है। एक आदमी की रिहाई पर जो बात की जा रही है, हमको तो बड़ा आश्चर्य लग रहा है।
उन्होंने कहा कि इस बारे में राज्य के मुख्य सचिव ने कल ही सारी बात बता दी थी।
उन्होंने इसे राजनीति की चीज नहीं बताते हुए भाजपा के नेता सुशील मोदी और आनंद मोहन की मुलाकात की फोटो और खबरों की प्रिंट कॉपी दिखाकर कहा कि ये फरवरी में रिहाई की मांग कर रहे थे आर अब विरोध कर रहे हैं। हमे तो आश्चर्य होता है।
उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या सरकारी अधिकारी की हत्या और सामान आदमी की हत्या में फर्क होना चाहिए।
इधर, भाजपा के नेता और सांसद सुशील कुमार मोदी ने कानून में बदलाव कर कैदियों की रिहाई पर सरकार को एक बार फिर से घेरते हुए शुक्रवार को कहा कि आईएएस अधिकारी जी कृष्णया हत्याकांड के समय लालू प्रसाद मुख्यमंत्री थे, इसलिए वही बतायें कि यदि पूर्व सांसद आनंद मोहन निर्दोष थे, तो उन्होंने उस समय उनकी कोई मदद क्यों नहीं की।
मोदी ने कहा कि दलित आइएएस अधिकारी की ड्यूटी के दौरान दिनदहाड़े हुई हत्या की यह जघन्य घटना लालू राज के डरावने दिनों की याद दिलाती है।
उन्होंने कहा कि आनंद मोहन के मामले में लालू-राबड़ी सरकार ने सेशन कोर्ट से हाईकोर्ट तक उनकी रिहाई का विरोध किया था। आज यही लोग उनकी रिहाई के लिए जेल कानून को बदल रहे हैं।
मोदी ने कहा कि 2005 तक राजद की सरकार थी। तब क्यों नहीं आनंद मोहन को निर्दोष बताने की कोशिश की गई, इसका जवाब तो लालू प्रसाद ही दे सकते हैं।
उन्होंने कहा कि आज चुनावी लाभ के लिए लाखों सरकारी कर्मचारियों की सुरक्षा को ताक पर रख कर राजद-जदयू की सरकार दुर्दांत अपराधियों को रिहा कर रही है।
--आईएएनएस
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