बिहार

कान्हा की नगरी में रेडक्रॉस को चाहिए संजीवनी

Admin Delhi 1
10 May 2023 2:51 PM GMT
कान्हा की नगरी में रेडक्रॉस को चाहिए संजीवनी
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मथुरा न्यूज़: किसी समय रेडक्रास का अपना ही क्रेज था. स्कूलों में जहां बच्चों की ट्रेनिंग होती थी, वहीं जोर-शोर से कैंप लगते थे. न तो यहां रेडक्रास का कोई लेक्चरर है और नही रेडक्रास कार्यालय है. दो दशक से रेडक्रास की ट्रेनिंग तक ठप पड़ी है. यदाकदा रक्तदान शिविर या छिटपुट कैंपों तक ही रेडक्रास सिमट कर रह गया. जनपद में रेडक्रास की मेंबरशिप भी खास ध्यान नहीं दिया जा रहा.

जरूरतमंद लोगों की मदद के साथ-साथ उनको प्राथमिक उपचार देने के उद्देश्य से सर हेनरी डुनेंट ने रेडक्रास की स्थापना की थी. इसी उद्देश्य से जगह-जगह इस संगठन की शाखाएं खोली जाती रहीं. शुरुआती दौर में जनपद में रेडक्रास का अपना ही क्रेज था. स्कूलों में बच्चों को ट्रेनिंग दी जाती थी, ताकि उनको प्राथमिक चिकित्सा व मानवीय सहायता के लिए प्रशिक्षित किया जा सके. उस दौर में सेंट जोन एंबूलेंस भी मिलकर काम करती थी. रेडक्रास के राष्ट्रीय अध्यक्ष जहां राष्ट्रपति होते हैं, वहीं प्रदेश स्तर पर राज्यपाल होते हैं. प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री इसके चेयरमैन होते हैं, जबकि जिला स्तर पर जिलाधिकारी के हाथ में रेडक्रास की कमान होती है. एक दशक पहले तक जनपद में रेडक्रास के 500 से अधिक आजीवन सदस्य थे, लेकिन अब आजीवन सदस्यों की संख्या 250 बतायी जा रही है. वर्तमान में रेडक्रास सोसाइटी इसी दिशा में प्रयासरत है कि किसी भी तरह रेडक्रास से आज की पीढ़ी को जोड़ा जाए. इसके लिए प्लानिंग भी तैयार की जा रही है. वर्तमान में जिस तरह से बीमारियां बढ़ रही हैं और हादसे हो रहे हैं, उसे देखते हुए रेडक्रास की ट्रेनिंग प्रत्येक विद्यालय में बच्चों देने की जरूरत भी महसूस की जा रही है.

दो दशक से जनपद में रेडक्रास की ट्रेनिंग का काम बंद है. इसकी बड़ी वजह कोई भी ट्रेनिंग लेक्चरार का न होना माना जा रहा है. इतना ही नहीं स्थापना के बाद से आज तक जनपद में रेडक्रास अपना कार्यालय तक नहीं बना सका है. यही वजह है कि रेडक्रास के अध्यक्ष ही अपने यहां से इसका संचालन करते रहे हैं, जबकि सीएमओ दफ्तर में रेडक्रास के एक दफ्तर की जरूरत भी वर्तमान पदाधिकारी महसूस करते रहे हैं. वर्तमान में रेडक्रास को सक्रिय करने की सबसे ज्यादा जरूरत महसूस की जा रही है.

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