बिहार

रिकॉर्ड: एक वर्ष में 1157 बच्चों का एसएनसीयू में हुआ इलाज

Admin Delhi 1
17 Jan 2023 6:49 AM GMT
रिकॉर्ड: एक वर्ष में 1157 बच्चों का एसएनसीयू में हुआ इलाज
x

रोहतास न्यूज़: सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में नवजातों के इलाज में वर्ष 2022 में रिकॉर्ड बना है. जहां वर्ष 2021 की तुलना में दोगुने नवजातों का इलाज किया गया है.

इसका अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2022 में एसएनसीयू में 1157 नवजातों को इलाज हुआ. विभाग से मिली जानकारी के अनुसार जनवरी 2021 से दिसम्बर तक एसएनसीयू में कुल 692 बच्चे भर्ती कराये गये. वहीं जनवरी 2022 से दिसम्बर 2022 तक कुल 1157 नवजातों को भर्ती कराया गया. प्राइवेट अस्पतालों के नीकू वार्ड से रेफर होकर पहुंचे करीब 200 से ज्यादा बच्चे एसएनसीयू में इलाज से ठीक होकर घर लौटे हैं.

सासाराम सदर अस्पताल स्थित एसएनसीयू में वर्तमान में 18 बेड हैं. जिसमें प्रतिदिन औसतन तीन से चार बच्चे भर्ती होते हैं. इसमें सरकारी अस्पतालों में जन्मे नवजातों के साथ निजी अस्पताल में के भी नवजात शामिल हैं. ऐसे में कहा जा सकता है कि निजी अस्पताल में प्रसव कराने के बावजूद भी सरकारी अस्पताल के एसएनसीयू पर लोगों का भरोसा बढ़ा है. बेहतर प्रबंधन के साथ बेहतर चिकित्सीय सुविधा की बदौलत सरकारी अस्पताल के प्रति लोगों की सोंच बदल रही है. खासकर महिला प्रसव को लेकर. लोग अब सरकारी अस्पताल में प्रसव कराना बेहतर समझ रहे हैं.

साथ ही नवजातों को सदर अस्पताल के एसएनसीयू में ही भर्ती कराने में भलाई समझ रहे हैं. यह हम नहीं आंकड़े बयां कर रहे हैं. वर्ष 2021 की तुलना में वर्ष 2022 में दोगुने बच्चों का इलाज किया गया.

मृत्यु दर भी रही कम एसएनसीयू में भर्ती नवजातों की मृत्यु दर की बात करें तो वर्ष 2021 की तुलना में 2022 में बच्चों की मृत्यु दर भी कम रही. वर्ष 2021 में जहां 692 भर्ती नवजातों में 101 की मौत हुई है. वहीं वर्ष 2022 में भर्ती 1157 नवजातों में 111 की मौत हुई है. सिविल सर्जन डॉ केएन तिवारी ने बताया कि जिले में सरकारी स्वास्थ्य सुविधा को बेहतर करने के लगातार प्रयास किये जा रहे हैं. इसका सकारात्मक परिणाम मिल रहा है. बताया कि जिले की सभी सरकारी अस्पतालों में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया करायी जा रही है. इसे और बेहतर किया जा रहा है.

क्या कहते है अधिकारी

सीएस डॉ. केएन तिवारी ने कहा कि सदर अस्पताल के एसएनसीयू में नवजात बच्चों को बेहतर इलाज मिलती है. प्रशिक्षित स्वास्थ्य कर्मी व चिकित्सक पूरी तन्मयता के साथ काम कर रहे हैं. इलाजरत्त बच्चों की संख्या में इजाफा भरोसे का प्रतिक है.

Next Story