पटना न्यूज़: खेमनीचक में बैंककर्मी का 11 वर्षीय पुत्र आज व्हील चेयर पर जिंदगी काटने को विवश है. वह दुर्लभ बीमारी डीएमडी (ड्यूशेन मस्कुलर डिजिज) से ग्रसित है. उसकी मां सुनीता ने बताया कि पांच साल तक वह सामान्य था. लेकिन अचानक पैर उठाकर चलने लगा. फिर धीरे-धीरे पैर छोटे होने लगे. उसे इलाज के लिए देश के कई छोटे- बड़े अस्पतालों में ले गईं. बताया गया कि इस दुर्लभ बीमारी का फिलहाल इलाज संभव नहीं है.
कंकड़बाग के अशोकनगर के संतोष कुमार का पुत्र भी इसी दुर्लभ डीएमडी बीमारी से ग्रसित है. बच्चा व्हील चेयर पर है. संतोष ने एक वाट्सएप ग्रुप बनाया है. इस ग्रुप में डीएमडी से ग्रसित बच्चों के लगभग 200 माता-पिता जुड़े हुए हैं. ग्रुप पर बच्चे की स्थिति ओर इलाज से संबंधित नई जानकारियां शेयर करते हैं.
संतोष ने बताया कि राज्यभर में फिलहाल 300 बच्चे इस बीमारी से पीड़ित हैं. तीन साल में 20 बच्चों की मौत हो चुकी है. इलाज के अभाव में अन्य बच्चे भी मौत के करीब जा रहे हैं. बताया कि राज्य व केंद्र सरकार से मदद नहीं मिल रही है. कम पीड़ित होने से दवा कंपनियां भी इसकी नई दवाइयों की खोज में ज्यादा रुचि नहीं दिखा रहीं. सुनीता कहती हैं कि कोविड का टीका खोजने में केंद्र ने जितनी तत्परता दिखाई, उसी तरह ध्यान डीएमडी व अन्य दुर्लभ बीमारियों पर देने की जरूरत है.
राज्य में पहले एलसीएच पीड़ित बच्चे का चल रहा इलाज
पटना के बाइपास स्थित एक निजी अस्पताल में एलसीएच नामक दुर्लभ बीमारी से पीड़ित एक बच्चे का इलाज श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. विनय कृष्ण की देखरेख में चल रहा है. डॉ. विनय ने बताया कि राज्य में संभवत इस तरह का पहला केस है. इसमें बच्चे के फेफड़े से हवा लीक कर रही थी. केस हिस्ट्री व कई जांचों के बाद इस बीमारी का पता चला. समय पर पता चलने से इसकी बीमारी को रोका जा सका है. बच्चा लगातार ऑब्जर्वेशन में है.