बिहार

केंद्रीय मंत्री आरसीपी का राज्यसभा का कार्यकाल हो रहा खत्म, सतह पर आया JDU के अंदर का 'शीतयुद्ध'

Tulsi Rao
30 May 2022 5:14 PM GMT
केंद्रीय मंत्री आरसीपी का राज्यसभा का कार्यकाल हो रहा खत्म, सतह पर आया JDU के अंदर का शीतयुद्ध
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पटना: किसी ने सच कहा है- सियासत में कौन-कब पराया हो जाए और कब-कौन अपना हो जाए, ये कहा नहीं जा सकता. बिहार के सियासी पिच पर कल तक केंद्र के रास्ते बैटिंग करने वाले जदयू नेता आरसीपी सिंह की चर्चा चारों तरफ हो रही है. लेकिन आरसीपी सिंह जदयू नेतृत्व के फ्रेम से गायब हैं. इस गायब तस्वीर को लेकर जदयू के अंदर का शीतयुद्ध सतह पर आ गया है.

स्थिति ये हो गई है कि बिहार की सियासी फिजा में एक ही सवाल तैर रहा है- आरसीपी सिंह कहां हैं? और क्या वो केंद्र में इस्पात मंत्री के पद पर बने रहेंगे. हालांकि बीजेपी से बढ़ती नजदीकी के आधार पर आरसीपी सिंह ने कहीं ये बयान जरूर दे दिया है कि पीएम के आदेश का इंतजार करेंगे.
आरसीपी ने इशारों-इशारों में जदयू के फैसले को दिल पर लेते हुए गेंद पीएम नरेंद्र मोदी के पाले में डालकर अपने विरोधियों को थोड़ी देर के लिए अशांत कर दिया है. लेकिन क्या आरसीपी का रास्ता अलग हो गया है. ये सवाल भी बिहार के राजनीतिक जानकार करने लगे हैं. क्योंकि जब एनडीए के उम्मीदवार राज्यसभा सदस्य के नामांकन के लिए विधानसभा पहुंचे तो वहां जो फोटो सेशन हुआ, उस फ्रेम से आरसीपी सिंह गायब थे.
सबसे बड़ा सवाल है- क्या जदयू के अंदर जारी सियासी शीतयुद्ध सतह पर आ गया है. क्या आरसीपी सिंह अब अपना अलग रास्ता चुनेंगे? जवाब अभी किसी के पास नहीं है! सियासी पंडितों की मानें तो फिलहाल, विरोधी दल राजद और बीजेपी के अंदरखाने जदयू में मची इस कलह पर आनंद का माहौल है.
अब जरा आरसीपी सिंह के एक बयान पर गौर कीजिए. उन्होंने टिकट कटने पर कहा कि 'ये प्रधानमंत्री का विशेषाधिकार है, हम उनके पास जाएंगे और कहेंगे सर मेरे लिए क्या आदेश है...? वो मंत्री से कभी भी इस्तीफा मांग सकते हैं और हम कभी भी इस्तीफा दे सकते हैं. नरेंद्र मोदी हमारे सर्वमान्य नेता हैं उनसे बात करेंगे सब लोग. हमें पार्टी ने अब तक कोई आदेश नहीं दिया है.'
आप इस जवाब के कई मायने निकाल सकते हैं. आखिर केंद्र में मंत्री रहने के दौरान आरसीपी को पीएम से ऐसा कौन-सा लगाव हो गया कि उनके अपने नेता नीतीश कुमार उनके बयानों के बीच शामिल नहीं हैं. इस जवाब के कई मायने और भी हैं, जिसमें आरसीपी दिखाना चाहते हैं कि हम आपके भरोसे ही नहीं हैं, हमने बीजेपी के अंदर अपनी सियासी क्रेडिबलिटी बना ली है.
बिहार की राजनीतिक को समझने वाले मानते हैं कि आरसीपी का पत्ता कटने के बाद ललन सिंह का बयान सुनिए. उन्होंने तीन लाइन के बयान में चार बार आरसीपी के लिए सम्मानित नेता शब्द का इस्तेमाल किया. मतलब, एक तो आरसीपी का पत्ता साफ कर दिया और अब ललन सिंह राजनीतिक मरहम के साथ आरसीपी को जदयू का कद्दावर नेता बताने में जुटे हैं. जदयू ने आरसीपी का पता काटकर ये जता दिया कि पार्टी का आरसीपी पर अब भरोसा नहीं रहा. लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये भी है कि खीरू महतो के राज्यसभा जाने के बाद अब आरसीपी सिंह क्या करेंगे?
हालांकि, आरसीपी सिंह के केंद्र में मंत्री बनने से नाराजगी के सवाल को ललन सिंह ने सिरे से खारिज किया. उन्होंने कहा कि हम कभी भी नाराज नहीं रहे. कुल मिलाकर एक बात तो साफ है कि जिस तरह आरसीपी का पत्ता कटा है. उसके बाद वे जदयू से दूरी बनाकर चल रहे हैं. आरसीपी उसके बाद कम बोल रहे हैं. जदयू नेतृत्व उनके बारे में ज्यादा बयान दे रहा है. जदयू को डर है कि कहीं आरसीपी सिंह कोई बड़ा सियासी कदम ना उठा लें, जिससे पार्टी को पछताना पड़े.
यदि ये सब बातें नहीं होतीं तो नीतीश कुमार का ये बयान नहीं आता. सीएम नीतीश ने कहा कि 'अभी चुनाव समय से पहले हो रहा है. जब तक उनका टेन्योर है तब तक आरसीपी सिंह केंद्रीय मंत्री बने रहेंगे. उसके बाद भी पूरा समय मिलता है. आरसीपी को तुरंत इस्तीफा देने की क्या जरूरत है. वह अपना कार्यकाल पूरा करेंगे. इसमें दिक्कत क्या है.'
अब आप समझ सकते हैं कि आरसीपी सिंह का टिकट कटने के बाद जदयू के अंदर सालों से जारी शीतयुद्ध सतह पर आ गए हैं. अभी आगे आगे देखते जाइए जदयू के अंदर की राजनीति कैसे खुलकर बयानों के जरिए बाहर आएगी.
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