बिहार

राजेंद्र प्रसाद मगध यूनिवर्सिटी के कुलपति पद से हटे, अब उनसे जुड़े हर मामले की होगी जांच

Renuka Sahu
30 May 2022 1:32 AM GMT
Rajendra Prasad removed from the post of Vice Chancellor of Magadh University, now every matter related to him will be investigated
x

फाइल फोटो 

करोड़ों की हेराफेरी में घिरे मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जुड़े एक-एक मामले की पूरी जांच होगी।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। करोड़ों की हेराफेरी में घिरे मगध विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद से जुड़े एक-एक मामले की पूरी जांच होगी। अपने खिलाफ हुई कार्रवाई को कानूनी दांव-फेंच में फंसाने की उनकी कोशिश नाकाम होने के बाद उन्हें कुलपति पद से भी हाथ धोना पड़ा। राजेंद्र प्रसाद अबतक कुलपति के पद पर थे, लिहाजा जांच एजेंसी को कई एहतियात भी बरतनी पड़ रही थी। लेकिन, अब हालात बदल चुके हैं। उनके खिलाफ जैसी शिकायतें एसवीयू को मिली हैं, उसके हर पहलू को खंगाला जा रहा है। जल्द उनपर शिकांजा कस सकता है।

नियम नहीं मनमर्जी से चला रहे थे विश्वविद्यालय
सूत्रों के मुताबिक डॉ. राजेंद्र प्रसाद जब से मगध विवि के कुलपति बने थे तब से सारे नियम-कायदे को ताक पर रख दिया गया था। एसवीयू के पास ऐसी कई शिकायतें हैं, जिसमें इस बात का उल्लेख है कि वह अपने हिसाब से अधिकारियों-कर्मियों से काम कराते थे। जिस किसी ने कागजात पर साइन करने से मना किया या आनाकानी की उन्हें धमकी तक दी जाती थी। कई ऐसे कागजात पर दस्तखत कराए गए जो नियम के तहत नहीं होने चाहिए।
अवैध कार्यों को जायज ठहराने की कोशिश जारी रही
एसवीयू द्वारा मामला दर्ज करने और छापेमारी के बाद भी विश्वविद्यालय के अधिकारियों को फोन कर अवैध कार्यों को जायज ठहराने की कोशिश जारी रही। इसके लिए कई अलग-अलग नंबरों का इस्तेमाल तक उनके द्वारा किया गया। यहां तक की एसवीयू के एसपी जेपी मिश्रा तक को धमकी दिलाई गई।
दूसरे नोटिस पर हुए थे हाजिर
डॉ. राजेंद्र प्रसाद एसवीयू द्वारा पहली नोटिस के बाद वह पूछताछ के लिए हाजिर नहीं हुए। पहले उन्हें 3 जनवरी को पेश होना था पर वह नहीं आए। इसके बाद दूसरे नोटिस पर वह 20 जनवरी को पेश हुए। पूछताछ के दौरान घर से बरामद नकद राशि के साथ कई अन्य सवालों का वह सही से जवाब भी नहीं दे पाए थे।
रुपयों के बंदरबांट की भी जांच हो रही
मगध विवि के कुलपति रहते राजेंद्र प्रसाद पर 30 करोड़ रुपए के वित्तीय अनियमितता को लेकर मामला दर्ज किया गया था। जांच के दौरान एसवीयू ने 17 नवंबर 2021 को कुलपति के तीन ठिकानों पर छापेमारी की थी। तलाशी में कई ऐसी फाइल उनके आवास पर मिलीं, जो कार्यालय में होनी चाहिए। वहीं, एक करोड़ की देसी-विदेशी करेंसी उनके गोरखपुर आवास से जब्त की गई थी। सूत्रों के मुताबिक एसवीयू करोड़ों रुपए की बंदरबांट में कुलपति के अलावा और कौन-कौन हिस्सेदार रहे इसकी जांच कर रही है। कुछ लोगों को चिह्नित किया गया है। जांच के घेरे में अभी कई लोग आ सकते हैं।
Next Story