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बिहार | कटिहार रेलवे कॉलोनियों में लखनऊ में स्थित रेलवे कॉलोनियों में हुई हादसा की पुनरावृत्ति कभी भी हो सकती है. जिस प्रकार से यूपी में रेलवे कॉलोनियों में घटित हादसा में रेल कर्मियों की जान चली गई. इसी प्रकार की हादसा कटिहार स्थित रेलवे कॉलोनियों में कभी भी हो सकती है. इस बात की चर्चा जर्जर रेलवे क्वार्टर में रहने वाले रेल कर्मी करने लगे हैं. रेल कर्मियों का कहना है कि कटिहार रेल मंडल में करीब 1 हजार और मुख्यालय में करीब 250 से अधिक रेलवे क्वार्टर रहने लायक नहीं रह गया है. किसी क्वार्टर के छत का प्लास्टर टूट कर गिरता रहता है तो किसी क्वार्टर का फर्स धंस गया है. इससे टायल्स टूटकर कहीं धंस गया तो कहीं पर गड्ढा में समा गया है. यह हालत किसी-किसी रेलवे क्वार्टर के शौचालय, कीचन रूम और सोने के कमरे में भी है. रेलवे क्वार्टर के छत का प्लास्टर टूटकर गिरने से रेल कर्मी व उनके परिजन कई भर हादसा के चपेट में आने से जख्मी हो चुके हैं.
इन कालोनियों की रेलवे क्वार्टर की हालत कमोवेश नहीं है ठीक कटिहार रेल मंडल मुख्यालय के अंदर अधिकारियों से ले कर्मियों तक के क्वार्टर की हालत ठीक नहीं है. लंगड़ाबगान, साहेबपाड़ा, गिरजा कॉलोनी, इमजरेंसी कॉलोनी, रेलवे न्यू कॉलोनी, ओटी पाड़ा, ड्राइवर टोला, संतोषी कॉलोनी, ग्रिनसोप पाड़ा की हालत एक समान है. केवल रेलवे न्यू कॉलोनी व साहेबपाड़ा और इंमजरेंसी कॉलोनी में बनाया गये नये क्वार्टर की स्थिति ही रहने लायक है.
क्षतिग्रस्त रेलवे क्वार्टर में रहने वाले रेल कर्मियों को निकालने के लिए एक 3 सदस्यीय कमिटी गठित किया गया है. क्षतिग्रस्त नहीं किये गये जिस रेलवे क्वार्टर की स्थिति ठीक नहीं है या कोई भी गड़बड़ी है. उसे प्राथमिकता के आधार पर मरम्मत कराने के लिए अभियंत्रण विभाग को कहा गया है.
-जी प्रशांत कुमार, सीनियर डीसीएम, कटिहार रेल मंडल
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Harrison
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