बिहार

नफरत छोड़ो-संविधान बचाओ संवाद, सह-शान्ति यात्रा का आयोजन

Shantanu Roy
3 Oct 2022 6:27 PM GMT
नफरत छोड़ो-संविधान बचाओ संवाद, सह-शान्ति यात्रा का आयोजन
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बेतिया। मजहब का काम अच्छाई और सच्चाई की प्रेरणा देना है परंतु आज सत्ता के शिखर तक पहुंचने के लिए इसके नाम पर वोट इकट्ठा करने हेतु समाज में नफरत और द्वेष फैलाने का षडयंत्र अलग-अगल स्वरूपों प्रयोग किया जा रहा है। जो व्यक्ति, समाज, गांव, कस्बा, शहर, नगर, महानगर या अन्य स्थानों पर रहने वाले इंसानों के जीवन स्तर पर बड़ा ही प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है। जो मानव जाति और मानवाधिकारों की रक्षा के लिए एक चुनौतीपूर्ण स्थिति है। इसी बोध के तहत 02 अक्टूबर, अंतर्राष्ट्रीय अहिंसा दिवसके मुबारक मौके पर बापू के 153 वें जन्मदिन को नफरत छोड़ो-संविधान बचाओ संवाद, सह-शान्ति यात्रा के कार्यक्रमों का आयोजन संयुक्त रूप से लोक संघर्ष समिति एवं राष्ट्र सेवा दल पश्चिम चम्पारण ने बेतिया के ह्दयस्थली महाराजा हरेंद्र किशोर सिंह, केन्द्रीय पुस्तकालय के सभागार में किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजवादी चिंतक भाई रामेश्वर प्रसाद ने की तथा मंच का संचालन वरीय पत्रकार सह समाजसेवी डा. अमानुलहक ने किया तथा कार्यक्रम के मुख्य वक्ता प्रो. डा. आर. के. चौधरी, प्रभारी प्राचार्य, गवर्नमेंट डिग्री कालेज, बगहा, पश्चिम चम्पारण रहें। कार्यक्रम की शुरुआत सुबह 9.30 बजे से शान्ति मार्च से की गई। शान्ति मार्च संवाद स्थल से प्रारंभ होकर सोवा बाबू /बाटा चौक से लाल बजार होते तीन लालटेन चौक होते हुए पावर हाउस चौक होते हुए नगर भवन, शहीद स्मारक होते हुए संवाद स्थल पहुंचा जहां संवाद कार्यक्रम में शामिल लोगों ने उक्त विषय पर अपने-अपने विचार विस्तार से रखें। वक्ताओं ने अपने-अपने व्यक्त विचारों में नफरत को बड़ी ही बारीकी और संजीदगी से परिभाषित करने की कोशिश की। लोगों ने कहा कि नफरत आज पुरे विश्व के लिए सबसे बड़ा खतरा है। जो धर्म, मजहब, जाति, रंग, क्षेत्र, रहन सहन, लिंग, शिक्षा, सवर्ण-अवर्ण, अगड़ी-पिछड़ी, वगैरह न जाने किन-किन रुपों और क्षेत्रों में फैला हुआ है जो मानवीय समाज विषयुक्त बनाये हुए हैं। हर ताकतवर अपने से कमजोर के साथ उसके हक को हड़पने पर आमादा है। सभी जगहों पर बेचैनी, अविश्वास, घृणा फैली हुई है, लोग एक दूसरे को शक और संदेह की दृष्टि से देखने को विवश हैं।
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