पूर्णिया: अमौर-खाड़ी घाट व रसेली घाट में 13 साल से लम्बित अधूरा पुल पड़ा हुआ है। खाड़ी व रसेली घाट पुल निर्माण संघर्ष समिति के वैनर तले प्रखंड के त्रिस्तरीय पंचायत राज के निर्वाचित मुखिय, सरपंच, जिला परिषद सदस्य, पंचायत समिति सदस्य, वार्ड सदस्य एवं ग्राम कचहरी पंच एवं ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन भी किया था। इस सम्बंध में प्रमुख प्रतिनिधि अफसर नदवी, जिला परिषद प्रतिनिधि अफरोज आलम, जिला पार्षद शहाबुज्जमा उर्फ लड्डू, मुखिया संघ अध्यक्ष गुलाम अजहर, सरपंच संघ अध्यक्ष मो जाकीर, पुल निर्माणसंघर्ष समिति के महफूज आलम, मुखिया प्रतिनिधि इनायत हुसेन, व अन्य प्रतिनिधियों मो शाबीर, इफ्तखार अहमद, मो जावेद आदि ने संयुक्त रूप वयान जारी कर कहा था कि अमौर प्रखंड क्षेत्र में विगत 13 साल से लम्बित खाड़ी पुल व रसेली घाट पुल निर्माण को लेकर आगामी 8 दिसम्बर को अमौर प्रखंड मुख्यालय में विशाल धरना प्रदर्शन किया गया था। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि अमौर प्रखंड में नदियों का जाल बिछा हुआ है लेकिन आजादी के 75 वर्ष बाद भी लाखों की आबादी के आवागमन का सहारा या तो चचरी पुल है या फिर नाव । प्रखंड के खाड़ी घाट व रसेली घाट में आरंभ उच्च स्तरीय पुल का निर्माण कार्य 13 साल से लम्बित है। पुल का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण अमौर प्रखंड के दर्जनों पंचायतों में विकास की रोशनी नहीं पहुंच पायी है ।शिक्षा, स्वास्थ्य पर इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। इन पंचायतों के लाखों की आबादी को जान जोखिम में डालकर नाव से नदी के आर पार करना पड़ता है। लोगों को वाहन से प्रखंड मुख्यालय जाने के लिए पांच किलोमीटर की जगह 30- 35 किलोमीट घुमकर जाना पड़ता है।
पुल का निर्माण कार्य पूर्ण नहीं होने के कारण ग्रामीणों को बरसात के दिनों में जान जोखिम में डालकर आवाजाही को मजबूर होना पड़ता है और आवागमन में लोगों को घोर परेशानियों का सामना करना पड़ता है । पुल न होने के चलते ग्रामीणों को बरसात के दिनों में जान जोखिम में डालकर आवाजाही को मजबूर होना पड़ता है। इन दोनों पुलों के अधूरे निर्माण कार्य को पूरा करने की मांग को लेकर पहले भी धरना प्रदर्शन किया गया है और सम्बंधित विभाग को ज्ञापण दिया गया है। लेकिन शासन प्रशासन की तरफ से उनकी मांगों पर अब तक कोई ध्यान नहीं दिया गया है जिसका खामियाजा क्षेत्र की जनता को भुगतना पड़ रहा है। जनप्रतिनिधियों ने कहा कि शासन प्रशासन की उपेक्षापूर्ण निति के कारण इन दोनों पुलों का निर्माण कार्य लम्बी अवधि से अधर में लटका हुआ है। क्षेत्र की जनता व जनप्रतिनिधि मजबूर होकर जनआन्दोलन की राह पर निकल पड़े हैं और इस आन्दोलन को और भी धारदार बनाया जायेगा ताकि शासन प्रशासन के निक्कमों की कुम्भकरनी निन्द्रा भंग हो सके और लम्बित पुलों का निर्माण कार्य पूर्ण हो सके ।