नालंदा न्यूज़: गर्मी अभी अपनी चरम पर पहुंची भी नहीं है और जिले में आग से तबाही मचानी शुरू हो गयी है. इस साल जनवरी से मार्च यानी महज तीन माह में आग लगने की 75 से ज्यादा घटनाएं हो चुकी हैं. आग की लपटों की भेंट करोड़ों की संपत्ति चढ़ गयी.
हालांकि, बड़ी कम, ज्यादातर घटनाएं छोटी थीं. चिंता यह कि अप्रैल शुरू होते ही आग लगने की घटनाओं में अचानक काफी इजाफा हो गया है. पांच अप्रैल को राजगीर, हिलसा और बिहारशरीफ अनुमंडल क्षेत्रों में एक दर्जन से ज्यादा जगहों पर आग लगी थी. इस बीच आग पर काबू पाने में अग्निशमन विभाग हाफ रहा है.
जिला कंट्रोल रूम के आंकड़ों पर गौर करें तो 31 मार्च तक बिहारशरीफ अनुमंडल करीब 21, राजगीर में 16 तो हिलसा में 38 जगहों पर आग लगी थीं. आग से सबसे ज्यादा नुकसान किसानों को उठाना पड़ रहा है. खेतों में तैयार रबी की फसलों पर आग कहर बनकर टूट रही है. बिजली के तार से निकली चिंगारी खड़ी फसलों को तबाह कर रही हैं. धरती पुत्रों की चिंता यह कि अभी यह हाल है तो तपिश जब पूरे परवान पर होगी तो क्या होगा. राजगीर के बिरजू बिगहा, ढिल्लो बिगहा तो हरनौत के भाथा गांव के खेतों में आग ने तबाही मचायी.
लुंजपुंज बिजली के तार जी का जंजाल अग्निशमन विभाग का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में खेतों के ऊपर से होकर गुजरे लुंजपुंज बिजली के तार किसानों के लिए जी का जंजाल बन गया है. खड़ी फसलों में आग लगने की अखिकांश घटनाएं बिजली से निकली चिंगारी की वजह से ही होती है. तेज हवा जलने या पंक्षियों की वजह से तार आपस में टकराते हैं तो चिंगारी निकलती है. इसकी मार धरती पुत्रों पर पड़ती है.
हो नुकसान तो मुआवजा के लिए यहां दे आवेदन आग से घर, फसल व अन्य संपत्तियों को नुकसान हो तो सीओ के पास आवेदन करें. नियम है कि जिस अंचल क्षेत्र में आग से तबाही मचती है, वहां के सीओ या तो खुद या संबंधित कर्मचारी को घटनास्थल पर भेजकर क्षति का आकलन करते हैं. उसके बाद आपदा राहत के तहत प्रभावित को मुआवजा दिया जाता है.