बिहार

हथकड़ी के साथ खुलेआम घूम रहे कैदी, दूर दूर तक नहीं दिखे पुलिसकर्मी

Rani Sahu
1 Aug 2022 2:21 PM GMT
हथकड़ी के साथ खुलेआम घूम रहे कैदी, दूर दूर तक नहीं दिखे पुलिसकर्मी
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7 अप्रैल 2022 को छपरा सदर अस्पताल (Prisoners Roaming Freely With Handcuffs In Chapra) से कैदी के फरार होने पर पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे

छपरा: 7 अप्रैल 2022 को छपरा सदर अस्पताल (Prisoners Roaming Freely With Handcuffs In Chapra) से कैदी के फरार होने पर पुलिस प्रशासन पर गंभीर सवाल खड़े हुए थे. पुलिस पर लापरवाही ( Negligence Of Police In Chapra) बरतने का आरोप भी लगा था लेकिन पुरानी घटनाओं से भी छपरा पुलिस ने सीख नहीं ली है. पुलिस की लापरवाही बदस्तूर अब भी जारी है. छपरा सदर अस्पताल में बिना नियमों का पालन किए पुलिस कैदी का मेडिकल टेस्ट कराने आती है. इस दौरान पुलिस की लापरवाही से कभी भी कोई कैदी आराम से भाग सकता है लेकिन पुलिसकर्मियों को किसी बात की चिंता नहीं है. अस्पताल परिसर में दो कैदी जांच के लिए लाए गए थे. इस दौरान दोनों कैदी हाथों में हथकड़ी लगाए बिना पुलिसकर्मियों के इधर से उधर आराम से घूमते नजर आए.

छपरा में हथकड़ी के साथ खुलेआम घूम रहे कैदी: यह बहुत बड़ी पुलिसिया लापरवाही है जो आज ईटीवी भारत के कैमरे में कैद हुई है. वहीं अगर यह अपराधी पुलिसकर्मियों के आंख में धूल झोंक कर भागने में सफल हो जाते तो गलती किसकी कही जाएगी या लापरवाही किसकी होगी? ऐसे हालात पैदा होने की बड़ी वजह क्या पुलिसिया लापरवाही है इस पर भी विचार करने की जरूरत है.
नियमों का उल्लंघन: बताया जा रहा है कि गिरफ्तारी के बाद पुलिस दो कैदियों का मेडिकल कराने पहुंची थी. सबसे बड़ी बात यह कि पुलिसकर्मी एक ही बाइक पर अपराधी को बीच में बैठाकर अस्पताल आए थे. जबकि नियमानुसार गिरफ्तार अपराधी को प्रोटोकॉल का पालन करते हुए पुलिस की गाड़ी में कड़ी सुरक्षा के बीच मेडिकल के लिए लाना होता है ताकि अपराधी भागने की योजना ना बना सके. लेकिन छपरा पुलिस ने नियमों का पालन नहीं किया इतना ही नहीं तस्वीरें देख कर ऐसा लग रहा है कि पुलिस को अपराधियों पर कुछ ज्यादा ही भरोसा है. क्योंकि अपराधी हाथों में हथकड़ी लेकर इधर से उधर घूम रहे थे. लेकिन इनके आस-पास कोई पुलिसवाला मौजूद नहीं था.
पुलिस की बड़ी लापरवाही उजागर: पुलिस की लापरवाही से अपराधी आराम से फरार हो जाते हैं. छपरा में इस तरह की तस्वीरें कोई नई नहीं है. दरअसल संसाधनों की कमी के कारण अक्सर प्राइवेट वाहन या बाइक से अपराधियों को लेकर जाया जाता है. वहीं आज की लापरवाही भी कम नहीं है. सदर अस्पताल या कोर्ट में इस तरह का नजारा दिखना आम बात हो गई है.


Rani Sahu

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