बिहार

प्रीपेड स्मार्ट मीटर गरीबों पर आर्थिक बोझ डालने वाला : सीपीएम

Shantanu Roy
12 Sep 2022 5:29 PM GMT
प्रीपेड स्मार्ट मीटर गरीबों पर आर्थिक बोझ डालने वाला : सीपीएम
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बड़ी खबर
सहरसा। सीपीआई(एम) जिला सचिव रणधीर यादव ने कहा प्रीपेड स्मार्ट मीटर गरीबों पर आर्थिक बोझ डालने तथा बिजली कंम्पनियों को मुवाईल कम्पनियों की धन कुबेर बनाने वाली व्यवस्था है। दूसरे राज्यों की तुलना में प्रीपेड स्मार्ट मीटर से बिहार में तीन गुना ज्यादा बिजली बिल लगेगा। केरल, गोवा, उड़ीसा आदि राज्यों में बिजली बिल 2.11 रू से 2.87 रू प्रति यूनिट बिजली बिल है। जबकि प्रीपेड स्मार्ट मीटर के सहारे 6.10 रू से 8.40 रू प्रति यूनिट बिजली बिल उपभोक्ताओं को देना पड़ेगा। जहां तक गांव ग्रामीण इलाकों में भी किसान मजदूर को भी 12 हजार से 14 हजार रूपए प्रति बर्ष बिल देना पड़ेगा।
वर्तमान में बिजली बिल व्यवस्था में महीने का बिल 15 दिन बाद भी नहीं जमा करते हैं तो भी बिजली नहीं कटती है परन्तु प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगने के बाद पैसा खत्म होते ही बिजली काट दी जाएगी। बिहार में आज भी 70 से 80 प्रतिशत लोगों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं है। कैसे बिजली बिल की जानकारी,बिल जमा करने के कामों को कैसे किया जा सकता है। बिजली विभाग द्वारा पहले जो मीटर लगाया हुआ है उसमें क्या गलती थी कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर लगाया जा रहा है। या तो पहले वाला मीटर गलत था या प्रीपेड स्मार्ट मीटर गलत है। पहले उपभोक्ता 100 से 200 वाट का बिजली बल्ब उपयोग करता था अब तो मात्र 8 से 10 वाट का बिजली बल्ब का उपयोग करता है तो फिर इतना बिजली बिल क्यों तथा इस तरह का बिजली व्यवस्था क्यों।
बिहार जैसे पिछड़े राज्यों में जहां 52% लोग आज भी गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजर बसर करते हैं वो इतना भारी भरकम बिजली बिल कैसे सहन कर सकता है। इसलिए भारत की कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी जिला कमेटी सहरसा बिजली विभाग,मुख्य कार्यपालक अभियंता सहरसा, बिहार सरकार से मांग करती है कि प्रीपेड स्मार्ट मीटर व्यवस्था पर रोक लगाई जाए ताकि आमजन मंहगाई बेरोजगारी के दौर में और अधिक आर्थिक बोझ से बच सके। अन्यथा पार्टी प्रीपेड स्मार्ट मीटर के खिलाफ उपभोक्ताओं के बीच हस्ताक्षर अभियान चला कर चरणबद्ध आन्दोलन करेगी।
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